Book Title: Pushkarane Bbramhano Ki Prachinta Vishayak Tad Rajasthan ki Bhul Author(s): Mithalal Vyas Publisher: Mithalal Vyas View full book textPage 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूमिका। 'टाड' कृत ग्रन्थ टाड़ 'राजस्थान' इतिहास, जानत जहान वह कैसो 'भ्रम पूर' है। 'पुष्टिकर' द्वि जनकी 'उत्पत्ति' विषय माँहि, टाड के विचार अविचार रु अधूर है ।। ताके 'भ्रम नाशन' को, सत्यके प्रकाशन को, शुद्ध अनुशासन को, सुपथ ज़रूर है । पुष्टिकर कुल की 'प्राचीनता' प्रमाण सह' नाना 'इतिहास' ते दिखायवे को सूर है॥१॥ - बहुत प्राचीन काल में सैन्धवारण्य देशके (मिन्धी ) ब्राह्मण श्रीमाल क्षेत्र में ब्राह्मणों की पुष्टि करने के लिये श्रीमाली ब्राह्मणोंके पूर्वजों से वादानुवाद करने पर अन्तमें सारिका राक्षसी (उष्ट्रासिनी-ऊँटा-देवी) को सहायतासे श्री लक्ष्मीजी से वरदान प्राप्त करके 'पुष्टिकरने' तथा 'पुष्करणे' कहलाये जाने लगे हैं। जिप्तका वृत्तान्त स्कन्द पुराणान्तर्गत श्रीमाल क्षेत्र माहात्म्य में है। उसमें से थोड़े से चुने हुये मुख्य २ श्लोकों सहित उस कथा का अभिप्राय रूपी संक्षिप्त सारांश इस पुस्तक के अन्त में भी लिखा है, जिससे स्पष्ट है कि ब्राह्मणों की अन्यान्य जातियोंकी भाँति पुष्करणे ब्राह्मणों की भी जातिकी उत्पत्ति आदिकी कथा पुराणों में विद्यमान है। । परन्तु थोड़े से वर्षों से किन्हींर अंग्रेजी पढ़े हुये लोगों के मुखसे पुष्करणे ब्राह्मणों को उत्पत्ति पुष्करजी पर होने और इ For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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