Book Title: Punya ka Fal Author(s): Dharmchand Shastri Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala View full book textPage 7
________________ पुण्य का फल सहसभट पीछा करते-करतेनगर में आगया पर सेठ दत्त को लूटने का मौका न मिला। इतने बड़े सेठ कोयू हीनहीं छोडूमा।इस पर नजर रखनी होगी कभी न कभी तो मौका मिलेगा। सेठ दत्त अपनी ससुराल पहुंचा। वहां उसका खूब स्वागत हुआ। तो ये अपनी ससुराल आया है चलो,कभी तो अपनेघर जायेगा-तब देखूगा। किन्तु घर में भी तो मौका मिल सकता है। क्यों न इस पर यहीं से नजर रखें। DAANPage Navigation
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