Book Title: Prey Ki Bhabhut Author(s): Rekha Jain Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala View full book textPage 6
________________ सहदेव ने नर्मदपुर नाम का नगर बसाने के लिए नाना देशों और नगरों से व्यापारियों को बुलाया। उसने अनेक प्रकार के कर्मकर सामन्त सैनिक शिल्पी आदि को वहाँ बुला लिया। नर्मदपुर सभी दृष्टियों से अच्छा नगर बन गया। यहाँ सभी वस्तुएँ प्राप्त हो जाती थी। न तो नगरवासियों को किसी प्रकार का कष्ट था और न व्यापारियों को ही। व्यापारी दिनोदिन समृद्ध होते जा रहे थे। खेती भी अच्छे रूप में उत्पन्न होने लगी थी और पशु सम्पति भी समृद्ध होने लगी थी। सबसे बड़ी घटना यह घटित हुई कि नर्मदपुर की पश्चिम दिशा में एक स्वर्ण की खान निकल आई जिससे व्यवसाय में पर्याप्त उन्नति होने लगी। श्रमिकों को कार्य मिलने लगा और आर्थिक दृष्टि से सभी सुख का अनुभव करने लगे । 4 AVIURVIVI समुद्र [के भीतर जैसे उत्ताल रंगों का मंथन होता है, वैसे ही उसके हृदय में अनेक भावनाओं की तरंगे उठ रही थी। वह दिन भी आ पहुँचा। आज सुन्दरी और सहदेव की धिराकांक्षित अभिलाषा पूर्ण हुई। भवन में एक कन्या के रूदन की ध्वनि सुनायी पड़ी। कन्या बहुत ही सुन्दर रूप लावण्य में अद्वितीय थी और उसके शरीर से तेज निकल रहा था। ज्योतिषियों को बुलाया गया, कन्या के ग्रह नक्षत्र दिखलाये गये। ज्योतिषियों ने पत्र खोला, जन्मपत्री बनाई और कहा। कन्या बहुत ही भाग्यशालिनी है। इसके जन्म से माता-पिता का अभ्युदय होगा। 2000 10000 सुन्दरी का गर्भ पुष्ट होने लगा। उसकी मातृ साधना सफलता की ओर बढ़ने लगी। सहदेव व्यापारी और श्रमिक वर्ग का नेता बन गया। वह पुरुषार्थ, शौर्य वीर्य, विद्या - बुद्धि एवं बल के सहारे सर्वहारा दल का भी अग्रणी हो गया। थोड़े ही समय में उसे अनेक उपलब्धियाँ प्राप्त हो गयी। उसे भावी सन्तान का अभ्युदय दिखलाई पड़ रहा था। पहली बार उसकी पिता बनने की महत्त्वकांक्षा पूर्ण होने जा रही थी, वह सोचता। अब मेरी गोद में धरा का वह सौन्दर्य दिखरेगा, जिसके लिए स्वर्ग के देवता भी लालायित हैं। उस दिन सचमुच उन्हें मुझसे ईर्ष्या होगी, जिस दिन सुन्दरी के उदर से आलोक पुन्ज का अविर्भाव होगा। नर्मदा का दोहद होने के कारण कन्या का नाम भी 'नर्मदा' रखा चुलबुलाहट सभी गया, नर्मदा की चंचल तरंगों के समान उसकी का मन आकृष्ट करती थी। सहदेव और सुन्दरी ने कन्या को लक्ष्मी समझा और उसका लालन-पालन ही पुत्र के समान किया। कन्या के गर्भ में आते ही धन सम्पत्ति की वृद्धि हुई थी। अतएव माता-पिता बहुत प्रसन्न थे। प्रेय की भभूतPage Navigation
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