Book Title: Pratima Shatak
Author(s): Ajitshekharsuri
Publisher: Arham Aradhak Trust

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Page 530
________________ 198 परिशिष्ट-२ स्तवपरिज्ञापद्यानामकारादिक्रमः परिशिष्ट - २ स्तवपरिज्ञापद्यानामकारादिक्रमः पृष्ठ ३४४ तः ३९१ गा. क्र. गा. क्र. ११५ १२८ ७० १४६ २०२ ९४ १६५ १४७ १४९ १७२ ५/ ९७ १९३ १५२ ८४ १७८ ४० अकसिणपवत्तगाणं अग्गाहारे बहुगा अग्गी मा एआओ अण्णे उ कसाईया अत्थि जओ ण य अद्दिस्सकत्तिगं अपडिवडियसुहचिंता. अप्पविरियस्स पढमो अप्पा च होइ एसा अलमेत्थ पसंगेणं असुहतरंडुत्तरणप्पाओ अस्सीलो ण य अह तेसिं परिणाम अह तंण एत्थ अह तं ण वेइयं अह पाठोभिमउच्चिय अहिगणिवित्ति वि आणापरतंतो सो सा आराहगो य जीवो आरंभच्चाएणं आरंभवओ वि इमा आहेवं हिंसावि हु इतरम्मि कसाईआ इयरा उ अभिणिवेसा इय आगमजुत्तीहि इय कयकिच्चेहितो इय दिट्टेट्ठविरुद्ध जं इय मद्दवाइजोगा इय सव्वेणं वि सम्म इहरा अणत्थगं इह मोहविसं घायइ इंदीवरम्मि दीवो उचियाणुट्ठाणाओ उद्दिट्ठकडं भुंजइ उवगाराभावे वि उस्सुत्ता पुण बाहइ ऊणत्तं न कयाइवि एएहितो अण्णे एअंच भावसाहुं विहाय एगिंदियाइभेओऽवित्थं एगिदियाइ अह एत्तो चिय णिद्दिट्ठो एत्तो च्चिय णिदिट्ठो एत्तो च्चिय णिद्दोसं २०० १२१ १६४ ६९ १३४ ७५ १२६ १६६ ६७ १५० १२३ १९७ १४२ १९८ १५७

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