Book Title: Prashnottar Sarddha Shatak
Author(s): Kshamakalyanvijay, Vichakshanashreeji
Publisher: Punya Suvarna Gyanpith

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Page 240
________________ ( १८६ ) घट के पर्याय को जानने के स्वभाव वाला जो ज्ञान है, वह जब पट के पर्याय को जानने के लिये समर्थ होता है तो पट पर्याय को भी घट पर्यायरूपता की आपत्ति होती है, अन्यथा घटपर्याय को जानने वाला ज्ञान पट पर्याय को नहीं जान सकता । क्योंकि उसका वैसा स्वभाव है। इसलिये जितने जानने योग्य पर्याय हैं उतने ही उनको ज्ञान कराने वाले केवल ज्ञोन के स्वभाव जानना चाहिये एवं जितने स्वभाव हैं उनने ही पर्याय होते हैं । इसी कारण से पर्यायों की अपेक्षा से सर्व द्रव्य एवं सर्व पर्याय के परिणाम युक्त केवल ज्ञान को कहा है। शंका-अकारादि श्रुतज्ञान एवं केवल ज्ञान के पर्यायों का परिणाम समान होता है अथवा न्यूनाधिक होता है ? समाधान:-- दोनों के पर्यायों का परिणाम समान ही होता है। केवल स्व एवं पर पर्याय रूप विशेषता है। जैसा कि नन्दीसूत्र वृत्ति में कहा है: "पर्याय परिमाण चिन्तायां परमार्थतो न कश्चिद् अकारादि श्र तकेवलज्ञानयोर्विशेषः । अयं तु विशेषः, केवल ज्ञानं स्वपर्यायैरपि सर्वद्रव्य परिणाम तुल्यम्, अकारादि तु स्वपर पायरेवेत्यादि ।" -पर्याय परिणाम की विचारणा में वास्तविक रीति से अकारादि श्रु त ज्ञान एवं केवल ज्ञान का कोई भेद नहीं है। मात्र इतनी विशेषता है कि केवल ज्ञान स्वपर्यायों से सर्वद्रव्य के परिणाम जितना है एवं अकरादि श्रतज्ञान स्व एवं पर पर्यायों से सर्व द्रव्य पर्यायों के परिणाम जितना है । Aho! Shrutgyanam

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