Book Title: Prashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Author(s): Kapurchand Jain
Publisher: Mahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali

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Page 577
________________ 5555555555555555 42. शाकाहारी जीवों के दांत चपटी दाढ़ वाले होते हैं, पंजे तेज नाखून वाले TE नहीं होते जो चीरफाड़ कर सकें। किन्तु मांसाहारी जीवों के दांत नुकीले . व पंजे तेज नाखून वाले होते हैं जिससे वह आसानी से अपने शिकार को चीरफाड़ कर खा सकें। - 3. शाकाहारी जीवों के निचडे, जबड़े ऊपर, नीचे, दायें, बायें सब ओर हिल सकते हैं, और वे अपना भोजन चबाने के बाद निगलते हैं, किन्तु मांसाहारी जीवों के निचड़े जबड़े केवल ऊपर नीचे ही हिलते हैं और वे अपना भोजन बिना चबाये ही निगलते हैं। 4. शाकाहारी प्राणियों की जीभ चिकनी होती है, किन्तु मांसाहारी प्राणियों की जीभ खुरदरी होती है। ये जीभ बाहर निकालकर उससे पानी पीते 6. 5. शाकाहारी जीवों के जिगर व गुर्दे अनुपात में छोटे होते हैं और मांस के व्यर्थ मादे को आसानी से बाहर नहीं निकाल पाते । किन्तु मांसाहारी जीवों के जिगर (Lever) व गुर्दे (Kidney) अनुपात में बढ़े होते हैं, ताकि मांस का व्यर्थ मादा आसानी से बाहर निकल सके। शाकाहारी जीवों के शब्द कर्कश व भयंकर नहीं होते किन्त मांसाहारी जीवों के शब्द कर्कश व भयंकर होते हैं। 7. शाकाहारियों और मांसाहारियों के मुंह के रस में भी भिन्नता पाई जाती है। मनुष्य में क्षारिक और मांसाहारी जीवों में तेजाबी रस होता है। शाकाहारी जीवों के पाचक अंगों में हाइड्रोक्लोरिक एसिड कम होता है इसलिये वह मांस को आसानी से नहीं पचा पाते। किन्तु मांसाहारी जीवों के पाचक अंगों में मनुष्य के पाचक अंगों की अपेक्षा दस गुना अधिक हाइड्रोक्लोरिक एसिड होता है जो मांस को आसानी से पचा देता उपर्युक्त तथ्यों को दृष्टि में रखते हुए मनुष्यों को मांस भक्षण नहीं करना चाहिये। मनुष्य के अलावा संसार का कोई भी जीव प्रकृति द्वारा प्रदान की हुई शरीर-रचना व स्वभाव के विपरीत आचरण करना नहीं चाहता। शेर TE भूखा होने पर भी शाकाहारी पदार्थ नहीं खाता और गाय भूखी होने पर भी । मांसाहार नहीं करती क्योंकि वह उनका स्वाभाविक व प्रकृति अनुकूल आहार नहीं है। मांसाहारी पशु अपनी पूरी उम्र मांसाहार कर व्यतीत करते हैं, किन्तु प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ _ 531 45954545454545454545454545454555

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