Book Title: Prashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Author(s): Kapurchand Jain
Publisher: Mahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali

View full book text
Previous | Next

Page 587
________________ 5454545454545454545454545454545 HE रोगों का जन्मदाता है। - इस प्रकार मांसाहार प्राकृतिक, धार्मिक, आर्थिक तथा शारीरिक र - स्वास्थ्य की दृष्टि से त्याज्य है। अब आईये शाकाहार क्या है इस पर दृष्टिपात करें। शाकाहार-सर्वप्रथम शाकाहार का शाब्दिक अर्थ देखें "शं यानि शान्ति 'क' आत्माः -'आ चारों ओर से। जीवन में चारों ओर से जो शांति लाता है वह आहार ही शाकाहार शाकाहार कुदरती आहार है। शाकाहार का मतलब है-सद्विवेक बुद्धि । एवं सदभिरूचि का तादात्म्य । शाकाहार मानव मात्र का मूल आहार है। 4शाकाहार सभ्यता का सूचक है, संस्कृति का सूचक है। शाकाहार जीवन शैली - है। शाकाहारी नीति का अनुसरण करने से ही पृथ्वी पर शांति, प्रेम और आनंद चिरकाल तक बने रहेंगे। इसलिये पाश्चात्य विद्वान् मोरस सी. कीघली ने LE लिखा है कि यदि "पृथ्वी पर स्वर्ग का साम्राज्य स्थापित करना है तो पहले कदम के रूप में मांस-भोजन करना सर्वथा वर्जनीय करना होगा क्योंकि मांसाहार से अहिंसक समाज की रचना नहीं हो सकेगी।" कहा गया है प्राणाः प्राणभृतामन्नम् (चरक सूत्र. अ. 2) अर्थात् अन्न प्राणियों का प्राण है। अन्न दीर्घ जीवन का आधार है। प्रथम जैन तीर्थकर ऋषभ देव ने, जो कृषि देवता' भी कहे जाते हैं, 'खेती करना और शाकाहार' को मनुष्य का वास्तविक एवं उचित आहार निरूपित किया है। महात्मा बुद्ध कहते हैं-हे महामते ! मैं यह आज्ञा कर चुका हूँ कि पूर्व ऋषि प्रणीत भोजन में चावल, जौ, गेहूँ, मूंग, उड़द, घी, तेल, दूध, शक्कर आदि लेना ही योग्य है। भारत की सभ्यता में बहुत बड़े-बड़े प्रयोग हुए हैं। सब प्राणी सुखी हों, सब नीरोग हों. सभी कल्याण के भागी बनें, कोई भी दुखी न हो। शाकाहार के कारण मानव तंदुरुस्त नहीं बन सकता, यह कहना सरासर गलत है। सागर अनीता जैन 454545454545 - प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 541 45454545454545454545454545

Loading...

Page Navigation
1 ... 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595