Book Title: Prakrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 829
________________ ८२३ अनुक्रमणिका दृष्टिविष२८५ देवसेन (दिगंबर भाचार्य) २६९ देयाडई (अटवी) ४२२ (नोट), ३१६,३१९, ३२२ देव ३८८ देवानन्द आचार्य ३४७ देवकी ५०८,५६७ देवानन्दा ७२, १५५, ४३१, ५५३, देवकीचरित ५२६ देवकुलयात्रा ४२२ देवावड (नगर) ५६८ देवगुप्त (हरिगुप्त के शिष्य) ४१७ देविंदस्थय (देवेन्द्रस्तव) ३३ (नोट), देवगुप्त १४७ ___३५, १२३, १२८, १९० देवगुप्त ११८ देविंदोववाय १९० देवगुप्तसूरि (जिनचन्द्र) ३४८ देवीदास ६६८ देवचन्द्र (हेमचन्द्र के गुरु) ४३१ देवेन्द्र ३४८ देवचन्द्र (शांतिनाथचरित के कर्ता) देवेन्द्र उपपात १५३ ५२६ देवेन्द्रकीर्ति ३२६ देवचन्द्रसूरि (कालिकायरियकहाणय देवेन्द्रगणि ( देखिये नेमिचन्द्रसूरि) के कर्ता) ४५५ देवेन्द्रनरकेन्द्रप्रकरण ३४९ देवदत्ता ९८ देवेन्द्रसूरि (श्रीचन्द्रसूरि के गुरु) देवदत्ता (गणिका) ८०, २६८ देवेन्द्रसूरि (सुदंसणाचरिय के कर्ता) देवदूष्य (वस्त्र) ५५४ ३३७, ३४२, ३४९, ३६१ (नोट), देवनारायण ६२७ ५६१, ५६७, ६८८ देवभद्रसूरि १८८ देवेन्द्रसूरि ( चत्तारिभट्टदसथव के देवराज ६५५ देवर्धिगणि क्षमाश्रमण २०,३८, १८८ __कर्ता)५७२ देवेन्द्रसूरि अथवा देवचन्द्र ( हेमदेववंदनादि १९६ चन्द्राचार्य के गुरु ) ४३१ देववंदनादिभाष्यत्रय ३४२ देशीभाषा १९, १९, (नोट), ५०७ देववाचक १८८ देशीयगण ३१२ देववाराणसी ३५४ देह (नगरी)४७० देवविजय ३४८ देहदमन ४७ देवसुन्दर ६४८ देहली १४३ देवसूरि (वंदित्तुसुत्त के टीकाकार) देहस्थितिप्रकरण ३४९ १८७ देहिल (व्यापारी) ५५३ देवसूरि (वीरचन्द्रसूरि के शिष्य) देवसिक (प्रतिक्रमण) १८६ ३३९ देवसूरि ( पद्मप्रभस्वामीचरित के दोगिद्धिदसा ४१, ६१ दोघट्टीटीका ४९० (नोट) ___ कर्ता) ५२६ दोसाउरिया (लिपि) ६२ देवसरि (जीवाभिगमवृत्ति के कर्ता) दोसिय (कपड़े का व्यापारी-दोशी) १९२

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