Book Title: Prakrit Kavya Manjari
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur

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Page 201
________________ १२. पाइयकहासंगहो : सं० . पं० मानविजय, पं० श्रीकान्तविजय, __ जैनग्रन्थमाला, सूरत, १९५२ १३. कुवलयमालाकहा : सं० - डॉ० ए० एन० उपाध्ये, सिंघी जैन ग्रन्थमाला बम्बई, १९५६ १४. समणसुत्तं-चयनिका : सं० - डॉ० के० सी० सौगाणी (पाण्डुलिपि), १९८२ १५. प्राकृत कथा संग्रह : सं० - मुनि जिनविजय, गुजरात पुरातत्त्व मंदिर अहमदाबाद, वि० सं० १९७८ १६. पउमचरियं : सं० - हर्मन जैकोबी, मुनि पुण्यविजय, प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी, वाराणसी, १९६२ १७. लीलावइकहा : सं० - डॉ० ए० एन० उपाध्ये, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई, १९६६ १८. वज्जालग्गं में : सं0 - डॉ० के० सी० सोगाणी (पाण्डुलिपि), १९८२ जोवनमूल्य भाग-१ प्राकृत भारती जयपुर से प्रकाश्य १६. गाहासत्तसई : सं0- डॉ० परमानन्द शास्त्री, प्रकाशन प्रतिष्ठान, मेरठ, १९६५ २०. अर्हत्प्रवचन : सं० - पं० चैनसुखदास, आत्मोदय ग्रन्थमाला, जयपुर १९७६ २१. वाक्पतिराज की : सं० - डॉ के० सी० सोगाणी (पाण्डुलिपि), १९८२ लोकानुभूति २२. रावणवहो : सं० - पं० शिवदत्त, निर्णयसागर प्रेस, बम्बई, १९३५ २३. कुमारपालप्रतिबोध : प्र0 - सेन्ट्रल लायब्रेरी, बड़ौदा, १९२० । २४. कंसवहो : सं० - डॉc ए० एन० उपाध्ये, मोतीलाल बनारसी . दास, दिल्ली, १९६६ बल्ला, १९६६ १६० प्राकृत काव्य-मंजरी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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