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प्रज्ञापनासूत्र ___पुच्चकयकम्मसाडणनिज्जरा” पूर्वकृत कर्मशातनं निर्जरा इति, किन्तु देशनिर्जरेवमयसेया, कपायजनितत्वात्, सर्वनिर्जरातु कपायरहितस्य सर्वनिरुद्धयोगस्य मोक्षसौधमारोहत एवोपजायने नेतरस्य, देशनिर्जरा तु सर्वकालं सवालपि संभवतीतिभाकः, अकुलालहरनाह'एवं एए जीवाइया वेमाणियपज्जवसाना अहारसदंडगा जाब वेमाणिया, निजरिंसु, निजरेंति, निजरिसंति एवम् पूर्वोत्तरीत्या एते-पूर्वोक्ताः जीवादिका गालिकापर्यवसानाः अष्टादश खण्डकाः अतीलवर्तमान भविष्यत्काल येडेन चोपचयवन्मोदीरणा वेदना निर्जराणां पण्णां त्रिगुणिताना मष्टादशदण्डकपदवाच्याः याबद्-नैरविकादि वैमानिकपता जीवविशेपाः सपुच्चयजीवाश्च चतुर्भिः क्रोधादिकारणैः अष्ट कर्मप्रकृती चितमन्तश्चिन्वन्ति चेष्पन्ति, उपचितवन्तः, उपचिन्वन्ति, उपचेष्यन्ति, अशान्त्सुः बध्नन्ति, मत्स्यन्ति, उदैत्यन्, उदीरयन्ति, उदीरयिष्यन्ति, अवेदयन्त, वेदयन्ते, वेदयिष्यन्ते, निरजा
भी है-'पुन्वक्यकम्मसाडण लिज्जरा' अर्थात् पूर्वबद्ध कर्मों का झडना निर्जरा है। किन्तु यहां जिस निर्जरा का कथन किया गया है, वह देश निर्जरा समझनी चाहिए, क्योंकि यह कषाय जनित है। सर्वनिर्जरा तो कषाय से रहित, योगों का सर्वथा निरोध कर देने वाले और मोक्षरूपी महल पर आरूढ होने वाले को ही होती है, अन्य को नहीं । देश निर्जरा सब जीव सदा काल करते रहते हैं। . अब उपसंहार करते हुए कहते हैं-इन पूर्वोक्त समुच्चय जीवों ने तथा नारकों से लेकर वैमानिक देवों तक के चौबीसों दंडकों के जीवों ने, अतीत, वर्तमान और भविष्य काल के भेद से चय, उपचय, बन्ध, उदीरणा, वेदना
और निर्जरा, की है, करते हैं और करेगे। चय, उपचय आदि छह का तीनों कालों से गुणाकार करने पर अठारह दंडक होते हैं । उन्हें इस प्रकार कहना चाहिए-चय किया, करते हैं और करे गे, उपचय किया, उपचय करते हैं और
_ ५५ -पूव्वकयकम्मसाडण निजरा, अर्थात पूर्व म नु पृथ५ ते નિર્જરા છે. કિન્તુ અહીં જે નિર્જરાનું કથન કરાયેલું છે, તે દેશ નિર્જરા સમજવી જોઈએ, કેમકે તે કષાય જનિત છે. સર્વ નિર્જરાતે કષાયથી રહિત વેગોને સર્વથા નિરોધ કરનારા અને મેક્ષ રૂપી મહેલ પર આરૂઢ થનારાઓને જ હોય છે, બીજાઓને નથી હોતી. દેશ નિર્જરા બધા સદાકાળ કરતા રહે છે.
હવે ઉપસંહાર કરતા કહે છે, આ પૂર્વોક્ત સમુચ્ચય છે તથા નારકથી લઈને વૈમાનિક દેવ સુધીના વીસે દંડકના એ અતીત, વર્તમાન અને ભવિષ્યકાળના वधा यय, 6५यय, अन्ध, २, वेदना अने नि । ४२ख छ, ४२ छ, भने ४२शे. ચય, ઉપચય આદિ છએને ત્રણે કાળેથી ગુણાકાર કરતા અઢાર દંડક થાય છે. તેમને આ પ્રકારે કહેવા જોઈએ-ચય કર્યો, કરે છે, અને કરશે ઉપચય કર્યો ઉપચય કરે છે અને