Book Title: Pradyumna Charitra
Author(s): Dayachandra Jain
Publisher: Mulchand Jain

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Page 96
________________ (..) से भरे हुए आए और प्रणाम करके आनंद के साथ अष्ट द्रब्यों से पूजा करने लगी । उपस्थित गण को धर्मोपदेश देकर योगी राज प्रद्युम्नकुमार श्रीनेमिनाथ भगवान के साथ बिहार के लिए चल दिये और पृथ्वीतल में बहुत दिन तक बिहार करके, और भव्य जीवों को प्रतिबोधित करके तथा जिन धर्म का प्रकाश करके फिर गिरनार पर्वत पर गए। वहां एक शिला पर विराजमान होगए और पर्यकासन योग से चार अघातिया कर्मों और उनकी प्रकृतियों को नष्ट करके जन्म जरा मृत्यु रहित गौरव को प्राप्त हुए। उनके साथ शम्भुकुमार भानुकुमार, और अनुरुद्धकुमार भी मोक्ष को गए । गिरनार पर्वत पर इन तीनों के शिखर बने हुए हैं। कहते हैं कि वहां से ही इन्होंने निर्वाण पद प्राप्त किया और इसी महात्म से गिरनार पूज्य है । ' जहां २ से ये मुक्त हुए थे वहां २ पर इंद्रादि देवों ने प्राकर उनके बचे हुए शरीर को ( नख केशादि को ) पवित्र चंदन से दग्ध किया और सर्व देवगण बड़े हर्ष और भक्ति से शिखरों की पूजन करके अतुल्य विभूति के साथ अपने २ स्थान को लौट गए। * समाप्त *

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