Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 05
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 25
________________ प्रा० जै० १८ ( जिस देश का दर्शन तक चन्द्रगुप्त के करने का कहीं वर्णन नहीं है ) ग्रीकों को निकाल बाहर किया ।" इस बात की हाँ में हाँ मिलाकर अटल सत्य के रूप में मान लिया है । इ० दूसरा भाग : ग्रीक इतिहास की मूल प्रति जिसके आधार पर मेसर्स जस्टिन तथा स्ट्रवो ने सारे संसार को सेण्ड्रोकोट्स और चन्द्रगुप्त का एक ही होना बतलाया है उसका भाषान्तर मि० क्रिण्डल ने (देखिए पोम्पी ट्रोगी XV 4 ) किया है और जिसका उद्धरण मि० हुल्ट्ज ने४४ अपनी पुस्तक में दिया है उसका रूपान्तर मैं यहाँ देता हूँ । गोया कि वह कुछ बड़ा है फिर भी उसके आधार पर बहुत ही ज्ञातव्य बातें स्पष्ट हो जायँगी । सिकन्दर के राज्य के टुकड़े टुकड़े कर डालने के बाद मि० सेल्यूकस ने भी पूर्व की ओर कई आक्रमण किए । पहले उन्होंने बेबोलोनिया जीता और फिर जीत के घमंड में आकर सेना के साथ बेक्ट्रिन्सों को अपने अधिकार में किया और उसके बाद भारत पर चढ़ाई की । सिकन्दर के मरण के बाद जिस भाँति गुलामी की जंजीर तोड़ दी गई हो उस तरह उसके सारे सरदारों को वहाँ वालों ने क़त्ल कर डाला । उनका मुख्य सरदार सेड्रोकोट्स था, जिसने भारतीयों के स्वातंत्र्य के वास्ते युद्ध किया था, किन्तु विजय के बाद जो अत्याचार४५ उसने किये उनसे वह मुक्तिदाता की उपाधि गँवा बैठा । कारण कि गद्दी पर बैठकर ४६ (४४) अशोक के शिलालेख नामक ग्रन्थ पु० १ पृ० XXXIII देखिए । (३५) अशोक जुल्मी था ग्रह इस बात से सिद्ध होता है । (४६) उस समय अशोक गद्दी के अधिकारी रूप में राज्य करता था यह इससे मालूम हो सकता है । ( ई० पू० ३२७ में )

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