Book Title: Parshwanath ka Chaturyam Dharm
Author(s): Dharmanand Kosambi, Shripad Joshi
Publisher: Dharmanand Smarak Trust

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Page 106
________________ पार्श्वनाथका चातुर्याम धर्म इतिहास लिखनेका स्थान यह नहीं है । यहाँ केवल इतना ही कह देना पर्याप्त है कि आज सोवियत रूसको छोड़ शेष सारी दुनिया इस राष्ट्रीयताके चंगुलमें फँसी हुई है और उससे उत्तरोत्तर भयंकर युद्ध हो रहे हैं। राष्ट्रीयतापर सोवियतका इलाज यह राष्ट्रीयता रूसमें विशेष प्रबल नहीं थी। यद्यपि रूसके ज़ार ( बादशाह ) रूसी जातिको महत्त्व देते थे, फिर भी अन्य जातियों के प्रति उनमें विशेष तिरस्कार नहीं था । ख्यातनामा कवि पुश्किनका नाना हबशी (नीग्रो) था । वह तुर्कीके सुलतानका गुलाम था। उसे भेंटके तौरपर सुलतानने जारको दे दिया था। जार उसपर विशेष प्रसन्न हुआ और उसने उसे सरदार बनाकर एक दूसरे सरदारकी लड़कीके साथ उसका ब्याह करा दिया । यह बात इंग्लैंड या अमेरिकामें होना असंभन है। पुश्किन उस नीग्रोकी लड़कीका बेटा था; पर उसे अपने नानार ( कितना गर्व था ! 'युगोनिई अनेगिन् ' नामक काव्यके प्रारंभम ही वह अपने अफ्रीकी रक्तकी महत्ता बताता है। इस तरह यह देश राष्ट्रीयत्वकी सीमाओंको लाँघनेमें समर्थ हुआ, तो इसमें क्या आश्चर्य ? राष्ट्रीयतासे लाभ उठानेवाला मध्यम वर्ग भी रूसमें प्रबल नहीं था; और जब जारशाही नष्ट हुई तब सारे राष्ट्रोंको समानताके अधिकार देनेमें लेनिनको बिलकुल कष्ट नहीं हुआ। कावकाज, तुर्कोमन, उजबेक आदि सभी पिछड़े हुए देश रूसकी तरह ही आज पूर्ण स्वतंत्रताका अनुभव कर रहे हैं। रूसकी विजयके अनेक कारणोंमें यह प्रधान है। ___ सोवियतका इलाज अन्य देशोंके लिए संभव नहीं इंग्लैंड, फ्रान्स, अमेरिका आदि देशोंमें देशाभिमान इतना भिद गया

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