Book Title: Parambika Stotravali
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Page 160
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दन्वतोभूपधनभागन्यु द्वाहार्थमाहर्तुमहंयतिष्ये // स्वस्त्यस्तु तेधीरजलनेशून्यं शरदघननादतिचातकोऽपि // 22 // // श्रीः // पण्डितवर्य मनोहरशर्म कृतश्लोकाः // नृणांवरामीष्टफलंसमीप्सवोवजन्तिभूपालमतन्द्रिताइमम्। ददातिवांछाधिकमेवयाचितोहिरण्यप्तिहोनुपमःसुरद्रुमः॥१॥ पण्डितवर्य रमानाथ शास्त्री कृतश्लोकाः // आसीत्सूर्यकुलावतंसनृपतिः श्रीमानसिंहःप्रभु पालोघ सुशेखरस्थमणिभिः प्रोघृष्टपादाम्बुजः शक्रस्येवपुरसुियोधन गरीसंपालयन्सर्वदा योगीन्द्रेष्वपिसार्वभोमपदवीसंप्रापचासौ नमः // 1 // प्रतापरस्मिस्तस्यैववैरिपत्नि हदम्बुजम् प्राप्यवैना टयामासवानरींतुनटोयथा // 2 // वहूनजनयत्पुत्रानलेभे चात्मवत्सुतम् तदाश्रीनाथमाराध्यसलेभेचात्मवत्सुतम् // 3 // सर्वेषामेवलोकानांस्वर्णः प्रिथतमोमतः // अतः सुवर्ण सिंहोसावितिनामचकारते // 4 // सोवर्धतयथाकामोयुव तीजनमानसे सुतंवीक्ष्यसवर्धिष्णुःशान्तिमार्गपरोभवत् // 5 // अथसशास्त्रसरित्यतिमंजसा गुरुमुखशवतस्तुवितीर्यच For Private and Personal Use Only

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