Book Title: Param Jyoti Mahavir
Author(s): Dhanyakumar Jain
Publisher: Fulchand Zaverchand Godha Jain Granthmala Indore

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Page 366
________________ ६५० परम ज्योति महावीर सोलहवाँ सर्ग सिद्धार्थपुर-संभवतः उड़ीसा में कहीं रहा होगा। कूर्मग्राम-यह ग्राम पूर्वीय बिहार में वहीं होना चाहिये क्योंकि वीरभोम से सिद्धार्थपुर होते हुये महावीर यहाँ आये थे । वाणिज्य ग्राम-यह नगर वैशाली के पास गंडकी नदी के तट पर अवस्थित एक समृद्ध व्यापारिक मण्डी थी। आधुनिक बसाड़ पट्टी के पास वाला बज्जिया ग्राम ही प्राचीन वाणिज्य ग्राम हो सकता है। सानुलदिय-अर्थात् सानुयष्टिक, ग्राम कहाँ था ? यह बताना कठिन है, पर यह अनुमान किया जा सकता है कि इस स्थान का दृढ़भूमि में होना सम्भव है जो प्राचीन कलिंग के पश्चिमीय अञ्चल में थी। __दृढभूमि--यहाँ म्लेच्छों की बसती अधिक थी, यह भूमि आधुनिक गोंडवाना प्रदेश होना चाहिये। सुमोग-यह ग्राम कलिंग भूमि में था। सुच्छेता-यह स्थान सम्भवतः अंगदेश की भूमि में था। मलय--यह ग्राम उड़ीसा के उत्तरी पश्चिमी भाग में अथवा गोंडवाना में होने की सम्भावना है । हत्यिसीस-( हस्तिशीर्ष ) यह ग्राम संभवतः उड़ीसा के पश्चिमोत्तर प्रदेश में कहीं था। तोसलि ग्राम-गोंडवाना प्रदेश में था, मौर्यकाल में गंगुबा और दया नदी के संगम के मध्य में तोसली एक बड़ा नगर रहा है । यह तोसली ही प्राचीन तोसलि ग्राम हो तो भी आश्चर्य नहीं है।

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