________________ नित्य नियम पूजा [217 वैशाख सुदी दश मांहि घाति क्षय करना। पायो तुम केवलज्ञान, इन्द्रनकी रचना ॥चांदन०॥ ह्रीं श्रीमहावीरजिनाय वैशाखशुक्लादश्यां केवलज्ञानप्राप्ताया. . कार्तिक जु अमावस कृष्ण पावापुर ठाहीं / भयो तीन लोकमें हर्ष, पहूँचे शिव माहीं ॥चांदन०॥ ॐ ह्रीं श्रीमहावीरजिनाय कार्तिककृष्णामावश्यां निर्वाणप्राप्ताया जयमाला (दोहा) मङ्गलमय तुम हो सदा, श्री सन्मति सुखदाय / चांदनपुर महावीरकी, कहूँ आरती गाय // पद्धरि छन्द जय जय चांदनपुर महावीर तुम भक्त जनोंकी हरत पीर / जड चेतन जगमें लखत आप, दई द्वादशांग बानी अलाप / 1 / अब पंचम काल मंझार बाय, चांदनपुर अतिशय दई दिखाय टिलेके अन्दर बेठ वीर, नित हरा गायका आप क्षीर 2 ग्वाला को फिर आगाह कीन, जब दर्शन अपना आप दीन / सूरत देखी अति ही अनूप, हैं नग्न दिगंबर शांति रूप // 3 // वहां श्रावक जन बहूँ गये आय,कीये दर्शन करि मन वचन कायः है चिन्ह शेरका ठीक जान, निश्चय हैं ये श्री वर्धमान / 4 / सब देशनके श्रावक जु आय, जिन भवन अनूपम दियो बनायः फिर शुद्ध दई वेदी कराय, तुरतही गजरथ फिर लयो सजाय५ ये देख ग्वाल मनमें अधीर, मम गृहको त्यागो नहीं वीर। तेरे दर्शन बिन वजूप्राण,सुनि टेर मेरी कृपा निधान // 6 //