Book Title: Nemirangratnakar Chand
Author(s): Shivlal Jesalpura
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 28
________________ एना बे अधिकार( विभाग)मां मळीने 84 कडीओ छे. केटलीक हस्तप्रतोमा 83 के 85 कडी पण छे. यादव राजा समुद्रविजय अने एमनी पत्नी शिवादेवीना पुत्र, जैनोना बावीसमा तीर्थकर नेमिनाथ लग्न करवा इच्छता नहोता, पण एमना काकाना दीकरा तथा वयमां एमनाथी मोटा श्रीकृष्णनी पत्नीओए एमने वसंतखेल करीने मांड लग्न करवा माटे मनाव्या. राजा उग्रसेननी रूपवती पुत्री राजिमती किंवा राजुल साथे एमर्नु लग्न नक्की करवामां आव्युं; पण नेमिनाथनी जान लग्नमंडप पासे आवी त्यारे जानैयाओना जमण माटे एकत्र करवामां आवेलां अनेक पशुओने एमणे जोयां. आ रीते थनार हिंसानी कल्पना आवतां नेमिनाथने वैराग्य उत्पन्न थयो अने लग्न कर्या विना ज, वलवलती राजिमतीने मूकीने एओ पाछा फर्या. मांडवेथी पाछा फर्या बाद गिरनार पर जई तप द्वारा एमणे मुक्ति प्राप्त करी अने राजिमतीए पण नेमिनाथनी पाछळ जई आत्मसाधना द्वारा ज्ञान प्राप्त कयु. आ प्रसंगर्नु अनेक जैन कविओए उमळकाथी वर्णन कर्यु छे. लावण्यसमये पण एनुं रसिक वर्णन कर्यु छे. आखी कृति शब्दलालित्यथी भरपूर छे अने एमां सरस शब्दचित्रोनुं सर्जन थयु छे. कवितुं छन्दप्रभुत्व अने समाजदर्शन पण एमां देखाई आवे छे. 'रंभा रूपि कलंकी,' 'अधर सुवि द्रुम चोला,' 'मयणची वाटडी,' 'करण जिस्या हीडोला' जेवी पंक्तिओमां कविनी मौलिक ने मनोहर अलंकार योजवानी शक्ति ध्यान खेंचे एवी छे. वसंतखेल करती गोपीओनुं वर्णन कवि आ प्रमाणे करे छ : 'सोल सहस अन्तेउरी श्रीपति सवि बोलावी, करि अद्भुत शिणगारडु रे गोपी गोरडी आवी. 16 कसका चरणा चोलमजीठी, कसका घुग्घरीआला, कसके छायलि छयलि सु छलीआ, कसका चरणा काला. 17 कसके पहिरणि पीत पटुली, कसके राता रंगा, कसके पहिरणि सेत शिणगारा, कसके चीर सुचंगा. 18 कसके उर-वरि नवसर हारा, झालि तणा झबकारा, रंगि रूडाला सोविन चूडला, पाए झांझर झमकारा. 19 काला कांचू कमल-स-कूअला कसका यज लाषीणा, माणक मोती चूडल बइठा कसका कमषा झीणा. 20 पीण पयोहर अमीय घडला, अधर सुवि द्रुम चोला, दंतावली दाडिमकुली रे मुषि ताजा तंबोला. 21

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