Book Title: Nemirangratnakar Chand
Author(s): Shivlal Jesalpura
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 56
________________ नीचेनी कडीओमां आ छन्द प्रयोजायो छे. पहेला अधिकारनी कडी 4, 5, 21, 22, 24, 25, 27, 31, 32, 35, 36, 39, 40, 43 अने 44. बीजा अधिकारनी कडी 95, 96 अने 146 8. त्रिभंगी-आ छन्द पद्मावतीने मळतो छ, पण पद्मावतीथी आगळ जई एमां आठ मात्राए एक यति वधारे होय छे अने एथी थयेला त्रणेय यतिखंडो एक ज प्रासथी सांधेला होय छे. पहेला अधिकारनी कडी 28 मा अने बीजा अधिकारनी कडी 73, 74, 78, 79, 88, 89, 124, 125, 136, 137, 139, 140 अने 147 मां आ छन्द प्रयोजायो छे. 9. दुमिल-आमां दरेक पंक्तिमा 32 मात्रा, 16 मात्रा पछी यति, अने दरेक चरणनो छेल्लो अक्षर गुरु छे. बब्बे चरणना प्रास मळेला छे. 'दलपत पिंगळ'ना दुमिला अने डिंगळना दुमेलने घणे अंशे ए मळतो आवे छे. पहेला अधिकारनी कडी 29, 30, 33, 34, 41, 42, 48 अने ५७मां तथा बीजा अधिकारनी कडी 86, 90, 92 अने १२८मां ए प्रयोजायो छे. 10. मरहट्ठा-आ छन्द पद्मावतीने बहु ज मळतो छे. फरक एटलो ज छे के पद्मावतीनो अंत्य खंड 14 मात्रानो छे एने बदले आमां अंत्य खंड 11 मात्रानो, दोहराना उत्तर पदनो आवे छे.' पहेला अधिकारनी कडी 7, 8, 46, 47, 49, 50, 52, 53, 61,62, 64, 65, 67, 68, 70, 71,78, 79, 83, 84, 86 अने ८७मां आ छन्द प्रयोजायो छे. 5. मात्रा दश आणो, आठ प्रमाणो, वळि वसु जाणो, रस दीजे, अंते गुरु आवे, सरस सुहावे, भणतां भावे, त्यम कीजे; लीलावति जेवा, ताळ ज देवा, त्रिभगि तेवा, छन्द करो, जति पर अनुप्रासा, धरिये खासा, सरस तमासा, शोधि धरो. 'दलपत पिंगळ' , पृ. 19 6. मात्रा दश आठे, धर जति पाठे, उपर कळा अगियार, मरहट्ठा नामे, कविता कामे, छन्द बनावो सार: छे गुरु लघु छेल्लो, एम ज मेलो, खेलो लावी खांत, तजि बे चच्चारे,, ताळ ज धारे, त्यारे थाय निरांत. 'दलपत पिंगळ

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