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६४] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक ।
(१८) पूना जिला। इसकी चौहद्दी इस प्रकार है। उत्तरमें अहमदनगर, पूर्वमें अहमदनगर और शोलापुर । दक्षिणमें नीर नदी, पश्चिममें कोलावा।
इसमें ५३४९ वर्ग मील स्थान है।
इसका इतिहास यह है कि इतिहासके पूर्व समयमें यह दंडकवनका एक भाग था । बहुत प्राचीन समयमें यह व्यापारका मुख्य मार्ग था । बोरघाट और नाना घाटियोंपर होकर कोंकनको माल जाता था। इसके बहुत प्रमाण उन लेखोंमें हैं जो पहाड़में खुदे हुए भाजा, वेडसा, कारली और नानाकी घाटियोंमें हैं।
(१) जुन्नार-पूनासे उत्तर पश्चिम ५६ मील । एक प्राचीन स्थान है । सन ई० के १०० वर्ष पहले अन्ध्रराजा राज्य करते थे। वेडसामें एक लेखसे मरहठोंका सबसे प्राचीन नाम मिलता है । यहां पश्चिमी चालुक्योंने ५५०से ७६० ई०तक, राष्ट्रकूटोंने ७६० से ९७३ तक फिर पश्चिमी चालुक्योंने ९७३ से ११८४ तक फिर देवगिरिके यादवोंने १३४० तक राज्य किया पीछे मुसल्मानोंने कबजा कर लिया ।
(२) वेडसा-ता० मावल, खंडाला स्टेशनसे दक्षिण पश्चिम ५ मील एक ग्राम है-यहां पहली शताबीकी गुफाएं हैं । सुपाई पहाडियां ३००० कुट ऊंची हैं मैदानके ऊपर दो खास गुफाएं है एक गुफामें द्वारके ऊपर यह लेख है " नासिकके आनन्द सेठीके पुत्र पुश्यन्कका दान” बड़ी कोठरीके उपर एक कूएंके पास दूसरा लेख है “महाभोजकी कन्या सामज्ञिकाका धार्मिक दान" यह सामज्ञिका अयदेवनककी स्त्री महादेवी महारथिनी थी। यह लेख इसलिये