Book Title: Mohan Charitam Author(s): Damodar Sharma Publisher: Damodar Sharma View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लुष्यं वार्षिकजले यत्र नान्यत्र दृश्यते ॥२२॥ दएको ध्वजे तथा बने कम्पश्च करिकर्णयोः॥ चिन्ता गहनशास्त्रेषु यत्र नान्यत्र दृश्यते । ॥ २३ ॥ करग्रहः परिणये रतावेव कचग्रहः ॥ चित्रकर्मसु वर्णानां संकरोऽन्यत्र नेयते॥श्व ॥ शून्यं गृहं शारिफले मदो मत्तमतङ्गजे॥ जालमार्गो गवादेषु यत्र नान्यत्र दृश्यते॥२५॥गलबन्धः कूपघटे मर्दनं कुचकुम्नयोः॥ निगमश्च गजेन्डेषु यत्र नान्यत्र दृश्यते॥२६॥ गोष्ठा ग्रामोपमा यस्मिन् ग्रामाश्च नगरोपमाः॥ नगराणि पुनर्विया धरश्रेणीसमान्यहो ॥२७॥ गोकुलानि यदीयानि तिष्ठन्ति विहरन्ति । ५||च॥को वा क्षमेत संख्यातु-मपि संख्यानपएिकतः॥२०॥ घटोध्यो । गृष्टयो यस्मिन् कामदोह्या दिवानिशम् ॥ यासां पयः पिबन् मर्त्यः । For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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