Book Title: Mohan Charitam Author(s): Damodar Sharma Publisher: Damodar Sharma View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मो सप म्यन्तु वैयात्यकम् ॥ १५॥ क्व चरित्रप्रणयनं क्व चेयं प्राकृता मतिः॥ नवितास्मि सतां नून-मुपदासस्य नाजनम् ॥१६॥ मदिमा श्रीगुरोर्यघा मनसोऽपि न गोचरः॥ तदालम्बादिदं कर्तुं प्रवर्तेऽहं सुष्करम् ॥१७॥ (॥इति प्रस्तावः॥) नारतेऽस्मिन् दक्षिणार्धे मध्य खएमेऽब्धिमएिमते ॥ सौवीराख्योऽस्ति विषयः सुवीरजनतास्पदम् । |॥ १७॥ यत्रानूवन् नूरिनव्याः शीलभूषणनूषिताः ॥ रमाया यज्ञतिस्थानं हंसालेर्मानसं यथा॥१॥ यस्मिन् राजन्वति जनाः प्रायः पुण्यपरायणाः ॥ शातमेवावेदयन्ता-बभ्रंश्चापि तदेव हि ॥२०॥ बन्धनं कुसुमेष्वेव बेदनं दाटकादिषु ॥ कुट्टनं स्वर्णरूप्यादौ यत्र नान्यत्र दृश्यते ॥२१॥ कौटिल्यमलकेष्वेव कलङ्कश्च कलानिधौ ॥ का For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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