Book Title: Mohan Charitam
Author(s): Damodar Sharma
Publisher: Damodar Sharma

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Page 137
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मो० / स०G ॥६॥ ॥११॥ विदारक्रमतः प्राप्ता गुरवः स्तम्भनं पुरम् ॥ तत्र श्रीपार्श्वमानम्य नगुकामथासदन् ॥१२॥ सुव्रतस्वामिपादानं नत्वा तत्र । मुनीश्वराः॥ सुश्रावकैर्युताः सूर्य-पुरप्रान्ते पदं न्यधुः॥१३॥ तदा सूर्यपुराताधा गुरूंस्ताननिवन्दितुम् ॥ आयातास्तान्समालोक्य । प्रमोदं घनमासदन् ॥ १४ ॥ प्रशंसनिस्ततः सूर्य-पुरस्थैः श्रावकैर्युताः ॥ सुलग्ने गत्रसदिता गुरवः प्राविशन्पुरम् ॥१५॥ तदा मङ्गलगीतेन वादित्राणां रवेण च॥जयघोषेण नव्याना-मनूनिमयं पुरम् ॥१६॥ वातायनस्थवामानां विकचैर्मुखपङ्कजैः॥ उपदारं मुनीनरेन्यो ददतीव पुरी बनौ ॥१७॥ जैनविद्योत्तेजिकया पर्षदाग- ॥६॥ मवर्त्मनि ॥ नृत्यन्तीव पुरी रेज-नहितैर्ध्वजतोरणैः ॥ १७॥ अथ | For Private and Personal Use Only

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