Book Title: Mohan Charitam
Author(s): Damodar Sharma
Publisher: Damodar Sharma
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मो० ॥५३॥ नेपथ्यरत्नालंकार-रुचिरानिः सहस्रशः ॥ श्राविका निश्च
मधुरं गायन्तीनिर्गुरोर्गुणान् ॥ ५४ ॥जयघोषैश्च गम्भीरे-रुख़ुष्टैरन्तरान्तरा ॥ मध्ये विराजमानश्च सशिष्यैर्मोहनर्षिभिः ॥५५॥ मनोहरं समालोक्य प्रवेशोत्सवमादरात् ॥ मुम्बापुरीस्थाः सफल । |मेनिरे दृष्टिसौष्ठवम् ॥५६॥ कुलकम् ॥ ततः सपरिवारास्त आजग्मुर्मोहनर्षयः॥ वसतिं नगरीमध्य-वर्तिनीं प्राशुकां वराम् ॥५॥ देशनायां च संबाध-स्तत्रानूघागगोचरः ॥ तिलोऽप्युपरिवर्ती यनान्तरन्तरमासदत् ॥५॥ व्याख्यानशालां विस्तीर्णा तदा संघो ।
न्यवेशयत् ॥ सहस्रपञ्चकं यत्रो-पविशेढएवतां नृणाम् ॥५ IN पुरी मोहमयी तत्र व्याख्याता मोहमोदनः ॥ यदि तत् िनरा नैव ५
॥
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