Book Title: Meri Mevad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 71
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir : ५६ I प्राचीन एवं अति पवित्र हैं । ऐसा पवित्र पड़ा है । और 'दो बिल्ली तथा बंदर' हो रही है। इस तीर्थ के झघडेके लिये कमीशन बैठा था । कहा जाता है कि, कमीशन ने अपनी रिपोर्ट तैयार करके दरबार के सामने पेश की है । परन्तु न मालुम किस कारणसे वह रिपोर्ट अभी तक प्रकाशित नहीं होती । हम आशा करते हैं कि - उदयपुर के दयालु और धर्म प्रेमी महाराणाजी साहेब, जहाँ तक हो सके शीघ्र ही रिपोर्ट प्रकाशित करेंगे, और इस तीर्थ को, आर्थिक दृष्टि से, लोगों की श्रद्धा की दृष्टि से जो हानि हो रही है, उससे बचा लेंगे । २- करेड़ा उदयपुर चितौड़ रेल्वे के करेड़ा स्टेशन से लगभग आधे या पौन मील दूर, सफेद पाषाण का, श्री पार्श्वनाथ भगवान् का एक सुविशाल और सुन्दर मन्दिर बना हुआ है । यह मन्दिर कब बना था इसके सम्बन्ध में कोई लेख नहीं प्राप्त होता । किन्तु इसकी बनावट को देखते हुए यह अनुमान किया जा सकता है, कि यह मन्दिर अत्यन्त प्राचीन है । इस मन्दिर का रंगमण्डप इतना अधिक विशाल और भव्य है, कि मेवाड़ के हमारे प्रवास में ऐसा रंग मण्डप कहीं भी नहीं दीख पड़ा । इस मन्दिर में से प्राप्त होने वाले शिलालेख, श्रीयुत पूरणचन्द्रजी नाहर ने लिये हैं । वे ग्यारहवीं शताब्दी से लगा मेरी मेवाड़यात्रा तीर्थ वर्षों से झघडेमें की कहावत चरितार्थ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125