Book Title: Mere Divangat Mitro ke Kuch Patra
Author(s): Jinvijay
Publisher: Sarvoday Sadhnashram Chittorgadh

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Page 196
________________ १६८ मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र पर कहे कि मेरे लिये कमरा तलाश करें। कर्ताराम को भी कहें। आप । लोगों का पत्र आने पर मैं फौरन आऊँगा खाना बनाने की सुविधा वहां । होनी चाहिये । नहाने का आराम भी। कर्ताराम इन सब बातों को जानते हैं। भवदीय सत्यदेव (३). Bei Conrad Dobbelstein Burgmaner Strasse 31 __Koln 21-1-29 प्रिय मुनि जी आपका पत्र मिला । मैं तो अपना बलिन जाने का इरादा छोड़ चुका था। यहाँ के लोगों ने मुझे कहा है कि बलिन में इन्फ्लुएन्जा है। हजारो लोग बीमार है। स्कूल कॉलेज सब बन्द हो गये हैं। मैंने समझा कि आप लोग भी कही चले गये होगे। कृपया लिखिये, यह क्या बात है ? मै आऊँ या नही ? आपका उत्तर आने पर मैं प्रोग्राम बनाऊँगा और सब ठीक लिखूगा । आप सब सच्ची दशा लिखिये । दर्शनाभिलाषी स. देव . Koln 25-1-29 , प्रिय मुनिजी मैं रविवार २६ जनवरी को सवेरे साढ़े आठ बजे की गाडी से चलूगा और शाम को पाच बजकर २५ मिनट पर Potsdam Banhop स्टेशन पर पहुँचूंगा। जो ट्रेन छः बजे के बाद पहुँचती है वह बडी खराब गंदी गाडी है उसमे पोल और रूसी भरे रहते है। इसलिये मैंने यह ट्रेन पकड़ना उचित समझा है ।

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