Book Title: Mantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Author(s): Jinkirtisuri, Jaydayal Sharma
Publisher: Jaydayal Sharma

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Page 10
________________ श्रीमान्, माननीय, विद्वद्वर्य, साधु, महात्मा, मुनिराजों ___तथा धर्मनिष्ठ श्रावक जैन बन्धुनों की सेवा में सविनय निवेदन। महानुभावो! “श्री मन्त्रराजगुणकल्पमहोदधि” अर्थात् “श्रीपञ्चपरमेष्ठि नमस्कार स्तोत्र व्याख्या” रूप इस लघु ग्रन्थ को आप की सेवा में सविनय समर्पित किया जाता है, दृढ आशा है कि आप इस का बहुमान कर मेरे परिश्रम को सफल कर मुझे उत्साह प्रदान करेंगे। दृढ निश्चय है कि इस सेवा में अनेक त्रुटियां रही होगी; परन्तु गुणों का ग्रहण; दोषों का त्याग तथा त्रुटियों का संशोधन करना आप महानुभावों का ही क. र्तव्य है, अतः पूर्ण आशा है कि इस सेवा में रही हुई त्रुटियों की ओर ध्यान न देकर आप मुझे अवश्य कृतार्थ करेंगे, किञ्च इस सेवा में रही हुई त्रुटियों के विषय में यह भी सविनय निवेदन है कि कृपया त्रुटियों को सूचित कर मुझे अनुग्रहीत करें कि जिस से आगामिनी आवृत्ति में उन्हें ठीक कर दिया जावे। मुद्रण कार्य में शीघ्रता आदि कारणों से ग्रन्थ में अशुद्धियां भी विशेष रह गई हैं, आशा है कि-पाठकजन शुद्धाशुद्ध पत्रके अनुसार प्रथम ग्रन्थको ठीककर तदनन्तर आद्योपान्त अवलोकन कर मुझे अनुग्रहीत करेंगे। किमधिक विशेषु ॥ कृपाभाजनजयदयाल शर्मा, संस्कृत प्रधानाध्यापकश्रीडूंगर कालेज, बीकानेर। Aho! Shrutgyanam

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