Book Title: Mananiya Lekho ka Sankalan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 35
________________ युनाईटेड नेशन्स के तत्त्वावधान में अगस्त २००० में आयोजित धार्मिक व आध्यात्मिक नेताओं की सहस्त्राब्दि विश्व शांति शिखर परिषद द्वारा जारी उद्घोषणा के अनुच्छेदों का “पोस्ट मॉर्टम" इस विश्व शांति शिखर परिषद की उद्घोषणा के अनुच्छेदों का 'पोस्ट मॉर्टम' करने से पहले इस परिषद उपस्थित रहने वाले धर्मगुरुओं से निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर मांगें जायें; १) इस शिखर परिषद का उत्थान किसने किया था ? जगत के धर्मगुरुओं, और विशेषत: आध्यात्मिक विश्व में नेता के स्थान पर आरुढ़ भारत के धर्मगुरुओं ने इस परिषद का उत्थान किया था ? या किसी अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों ने या किन्ही संस्थाओं ने इस परिषद का उत्थान किया था ? ऐसे व्यक्ति को, व्यक्तिओं को या संस्था को एसी परिषद आयोजित करने का अधिकार था ? एसा अधिकार उन्हें कहाँ से मिला ? २) भारत के धर्मगुरुओं को इस परिषद में शामिल होने का निमंत्रणं किसने किया ? निमंत्रण देने वालों को वैसा अधिकार था ? और क्या तद् तद् धर्म के अधिकृत धर्मगुरुओं को निमंत्रण भेजा गया था ? या फिर परिषद आयोजकों को अभीष्ट एसे धर्मगुरुओं को निमंत्रण दिया गया था ? या फिर भारत के धर्मगुरु स्वंय इस परिषद में शामिल हुए ? • ३) किस प्रकार की विश्व शांति के लिये इस शिखर परिषद का आयोजन हुआ था ? भारतीय आदर्श की विश्व शांति के लिये ? या यूनो के आदर्श के विश्व शांति के लिये ? दोनों के विश्व शांति के आदर्शों में जमीनआसमान का अंतर है। भारतीय आदर्श की विश्वशांति में सभी जातिया का, सभी प्रजाओं का, सभी धर्मों का, सभी रंगों की प्रजाओं का अस्तित्व जगत में टिक सके एसा अवकाश है। यूनो के आदर्श की विश्व शांति में सभी प्रकार के भेदों की नाबूदी ईष्ट है। जगत में मात्र एक ही धर्म (ईसाई धर्म) और एक ही रंग (श्वेत) की प्रजा को टिकाये रखने का उसका आदर्श है। किस आदर्श की विश्व शांति की स्थापना के लिये इस परिषद को आयोजित किया गया इसका प्रामाणिक खुलासा परिषद के आयोजकों से भारत के धर्मगुरुओं को प्राप्त कर लेना चाहिए। ४) इस परिषद की उद्घोषणा किसने तैयार की थी ? क्या जगत भर के धर्मगुरुओं ने इकठ्ठे होकर यह उद्घोषणा तैयार की थी ? या यह उद्घोषणा पहले से ही तैयार थी ? और जगत के धर्मगुरुओं ने इस पर अपने हस्ताक्षर करके अपनी स्वीकृति दे दी ? . परिषद में सम्मिलित धर्मगुरुओं की ओर से उनके अनुयायीओं को उपरोक्त प्रश्नों के सही उत्तर मिलें तो वे अपने अपने धर्मगुरुओं के इस शिखर परिषद में उपस्थित रहने के निर्णय का समर्थन भी कर सकेगें । द्विअर्थी शब्दों और कपट से भरपूर इस उद्घोषणणा की भाषा को समझने का अब हम प्रयास करें। उपर दर्शाया है वैसे विश्व शांति शब्द द्विअर्थी है। इस परिषद को आयोजित करने वाले किस आदर्श की विश्व शांति की ओर विश्व को ले जाना चाहते हैं उसका स्पष्टीकरण नहीं किया गया है, उल्टा उसे छुपा कर रखा गया है। इस उद्घोषणा की शुरुआत में कहा गया है. 'Humanity stands at a critical juncture in history' अर्थात्‘“मानवजाति आज संकटपूर्ण स्थिति में आ पड़ी है"। एसा क्यों हुआ ? Jain Education International (33) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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