Book Title: Mahavira ka Jivan Sandesh
Author(s): Rajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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महावीर का जीवन संदेश पूर्ण आदर और आग्रह को बढाकर उन्हे ढाल के रूप मे अपने सामने रखता है।
दूसरी ओर जव मनुष्य मे वौद्धिक जागृति मद पड जाती है और प्रयोग की अपेक्षा प्रामाण्य पर ही अधिक भार देने की वृत्ति बढ जाती है, तब समाज में एक प्रकार की धर्म-जडता उत्पन्न होती है। यह धर्म-जडता दिखती तो है धर्माभिमान जैसी ही, परन्तु वास्तव मे उसका रूप लापरवाही का होने से वह एक प्रकार की नास्तिकता ही होती है। अनुभव यह नही बतलाता कि अभिमान और आग्रह के मूल मे सच्चा आदरभाव अथवा सच्ची श्रद्धा होती ही है।
आज भारत में ग्रामीण समाज की दुर्दशा का कोई पार नही है । शहरी से विदेशी माल और मौज-शौक की चीजे गाँवो मे पहुंचती है, लेकिन उद्योग धन्धे नहीं पहुंचते । शहरो का उडाऊपन, असस्कारिता तथा अन्य समाज घातक दुर्गण गांवो मे तेजी से फैलने लगे है। लेकिन शहरो मे जो धार्मिक विचार-जागृति, राजनीतिक प्रगति और समाज-सुधार कुछ अशो मे दिखाई देता है, उसका प्रभाव बहुत ही कम मात्रा मे गाँवो में पहुंचता हैं। जिस हिन्दू धर्म से और आर्य तत्त्वज्ञान से आज हम जगत को प्रभावित और चकित कर देते हैं, वह धर्म और वह तत्त्वज्ञान जिस विकृत रूप में आज के ग्राम समाज मे प्रचलित है, उसे देखकर यही कहना पडेगा कि 'नेद यदिदमुपासते।' देश-देशान्तर मे प्रशसा पाने वाला हमारा धर्म और गाँवो में पाला जाने वाला धर्म एक है ही नही । गाँवो मे कल तक सच्ची धर्म निष्ठा, पवित्र आस्तिकता
और ऊँचा चरित्र-बल था, आज भी कही कही जिनके अवशेप दिखाई पडते है। परन्तु अबुद्धि, जडता और छिपी नास्तिकता का ही साम्राज्य वहाँ सर्वत्र फैलता दिखाई दे रहा है। इस कारण से गांव के समाज मानस मे वृद्धत्व अधिक मालूम होता है । गाँवो मे अज्ञान है, रोग है, गरीबी है । इन तीनो को यदि गांवो से हटाया नही गया, तो ग्राम-समाज अब टिक ही नहीं सकेगा। परन्तु प्रश्न यह है कि ज्ञान, स्वास्थ्य और उद्योग बाहर से गाँव के लोगो पर कहाँ तक लादे जा सकते है ? बाहर से लादे जाने वाले उपायो की एक मर्यादा होती है । इस तारक त्रिपुटी का स्वीकार गांव के लोगो को स्वेच्छा से ही करना चाहिये । और तीनो का स्वेच्छा से स्वीकार हो इसके पूर्व ग्राम-समाज का वृद्धत्व दूर होना चाहिये । उस समाज मे उत्साह और जागृति आनी चाहिये । धर्म-सस्करण के विना यह बात सभव नही होगी । अत दूसरी सब बातो से पहले गांवो मे धर्म सस्करण का समुचित प्रयत्न होना चाहिये ।