Book Title: Mahavira Jivan Bodhini
Author(s): Girishchandra Maharaj, Jigneshmuni
Publisher: Calcutta Punjab Jain Sabha

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Page 378
________________ ( ३५० ) लाने के लिए और पांडवों का काम करने के लिए श्रीकृष्ण महाराज को वहां जाना पड़ा। द्रौपदी को लेकर वापस लौट रहे थे, तब धातकी खंड के पद्मोत्तर राजाने शंख फूका तबपरस्पर वासुदेव शंख-नाद से मिले । यह आश्चर्य वाईसवें तीर्थ कर अरिष्टनेमि के शासन में हुआ था। महावीर स्वामी के शासन के पांच आश्चर्य : -(१) म. स्वामी की आत्मा ब्राह्मण कुल में उत्पन्न हुई। तीर्थंकर का क्षत्रिय कुल में जन्म होता है। इन्द्र महाराज की प्राज्ञा से हरिणगमैषी देव ने गर्भ का संहरण किया था। १२) म. स्वामी को छः महिना तक पित्त ज्वर ( खूनी दस्त ) हुआ। तीर्थकर पर तेजो लेश्या का असर नहीं होता, फिर भी गौशालक ने तेजोलेश्या का प्रयोग किया, उसका फल म. स्वामी को छः माह तक भोगना पड़ा था।

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