Book Title: Mahavira Jayanti Smarika 1964
Author(s): Chainsukhdas Nyayatirth
Publisher: Rajasthan Jain Sabha Jaipur

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Page 12
________________ यह जानकर बड़ी प्रसनता हुई कि इस वर्ष भी महावीर जय ती स्मारिका प्रकाशित की जा रही है और विशेष कर श्री आदरणाय पं० चैनसुखदासजी सा. न्याय तीर्थ के सम्पादकत्व में मैं आपके इस प्रयास की सराहना करता हूँ और आशा करता हूँ आपकी यह योजना इसी प्रकार से उन्नतशील होती रहेगी । मैं आपके इस सद् प्रयास की सफलता की कामना करता हूं। अजमेर भागचन्द्र सोनी यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सदा की भांति इस वर्ष भी भगवान महावीर के जयन्ती समारोह के अवसर पर महावीर जयन्ती स्मारिका का प्रकाशन किया जा रहा है । मुझे पूर्ण विश्वास है कि गत वर्षों की भांति स्मारिका में उत्कृष्ट सामग्री के प्रकाशन का आपका प्रयत्न अवश्य सफल होगा। भगवतसिंह महता जयपुर मुख्य-सचिव, राजस्थान श्री महावीर जयन्ती के अवसर पर मेरी भगवान से प्रार्थना है कि मानव में प्रज्ञाबल या बुद्धि शक्ति का अधिकाधिक उदय हो और उसके साथ ही जीव मात्र के लिए हृदय की महा करुणा का अक्षय स्रोत भी प्रवाहित हो। आज के युग में मानव के संघर्षमय विचारों के लिए महावीर के. आदर्शों का शीतल पुट चाहिए। सर्वहारा हिंसा को कैसे वश में किया जाय यही इस युग की समस्या है जिसके लिए हमारे श्रवण महावीर की अहिंसा वाणी के दो-चार शब्द चाहते हैं। वासुदेवशरण बनारस काशी विश्व विद्यालय मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी आप भगवान महावीर के पावन जयन्ती समारोह पर 'महावीर जयन्ती स्मारिका' दर्शन शास्त्र के प्रसिद्ध विद्वान पं० चैनसुखदास न्यायतीर्थ के सम्पादन में प्रकाशित कर रहे हैं। मुझे आशा है कि अापके इस प्रकाशन से सामान्य जन जैन धर्म, दर्शन शास्त्र, कला और इतिहास प्रादि के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। तथा उनके नैतिक एवं चारित्रिक उत्थान में यह परमोपयोगी सिद्ध होगी। आपके इस प्रयास की सफलता की कामना करता हूँ। नई दिल्ली राजबहादुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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