Book Title: Mahavira Charita Bhasha
Author(s): Lala Sitaram
Publisher: National Press Prayag

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Page 12
________________ -Te ... Aman m a gar... འཚུ་”ཆུ ང་ཙཱུ ཆུ ཨོ་ཀ ཙ་ཡ༔ ! སྨཚེ ''ག་ ཙྩལཱ ཙ ཚུ་པ་ ཁབ་ཀ་ག་* 1 जो प्रमुकायायाने जा माही। चलमिटै जई : "काकात मार समान कस्यभेड हरिरित लोहाए। नौति अनेक मुवीस কলিন রুহেল ল ল ভালছি। चितविनोद निज धर्म जानी। मैं यहि बिधि हरिकथा बधाही ! पदि नहिं सकत संलकुल साई । लहैं 'तु अन्यमियरस सोई कै जो मोह बस रहत मुलाने । पड़े देखि यह अन्थ पुराने । समुस सुनें रामगुनमामा। निजहि जानिही पूरलकामा कानपूर फाल्गुन शिवरात्रि सं १९५४ श्रीवासी सीताराम

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