Book Title: Mahavir ya Mahavinash
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rajnish Foundation

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Page 224
________________ पत्र - संकलन अंतर्वीणा प्रेम की झील में अनुग्रह ढाई आखर प्रेम पद घुंघरू बांध प्रेम के फूल प्रेम के स्वर पाथेय के प्रश्नोत्तर नहिं राम बिन ठांव प्रेम-पंथ ऐसो कठिन उत्सव आमार जाति, आनंद आमार गोत्र मृत्योर्मा अमृतं गमय प्रीतम छवि नैनन बसी रहिमन धागा प्रेम का उड़ियो पंख पसार सुमिरन मेरा हरि करैं पिय को खोजन मैं चली साहेब मिल साहेब भये जो बोलैं तो हरिकथा ऐसा बहु ज्यूं था यूं ठहराया ज्यूं मछली बिन नीर दीपक बारा नाम का अनहद में बिसराम लगन महूरत झूठ सब सहज आसिकी नाहिं पीवत रामरस लगी खुमारी रामनाम जान्यो नहीं सांच सांच सो सांच आई गई हिरा बहुतेरे हैं घाट कोंपलें फिर फूट आईं क्या सोवै तू बावरी फूल कहा कहूं उस देस की पंथ प्रेम को अटपटो फिर पत्तों की पांजेब बजी मैं धार्मिकता सिखाता हूं, धर्म नहीं ओशो उपनिषद एक नई मनुष्यता का जन्म भविष्य की आधारशिलाएं साधना शिविर साधना-पथ साधना-पथ अंतर्यात्रा प्रभु की पगडंडियां मृत्यु सिखाता हूं जिन खोजा तिन पाइयां समाधि के सप्त द्वार (ब्लावट्स्की) साधना-सूत्र (मेबिल कॉलिन्स) मैं ध्यान - सूत्र जीवन ही है प्रभु असंभव क्रांति रोम-रोम रस पीजिए ध्यान दर्शन ध्यान के कम नेति नेति शून्य की नाव शून्य के पा सत्य की खोज संभावनाओं की आहट गिरह हमारा सुन्न में अपने माहिं टटोल जीवन संगीत साक्षी की साधना साक्षी की साधना साक्षी का समाधि कमल 217

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