Book Title: Mahavir Chariyam
Author(s): Nayvardhanvijay
Publisher: Ahmedabad Paldi Merchant Society Jain Sangh

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Page 654
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir CAR श्रीगुणचंद IPL इओ य कुसग्गपुरे नयरे अरिमद्दणो नाम राया, तस्स य पर्यईए चिय दयादाखिन्नविवेयसच्चविसिद्धबुद्धिसंगओ:अनर्थदंडे महावीरच सुमई नाम अमचो, तेण य राइणा कारावियं महंतं सरोवरं, आरोपिओ पालीसु विचित्ततरुसमूहो, चउसुवि पासेसु कोरण्टककयाओ अणाहसालाओ, निरूवियाई अवारियसत्ताई, तस्स य सरोवरस्स अचंतभरिअस्सवि विवरदोसेण कइवयदि कथा. ॥ ३२०॥ णमेत्तेणवि सुसंतं सलिलमवलोइऊण विसन्नेण जंपियं रन्ना-अहो निरत्थो दधक्खओ जाओत्ति, परियणेण भणियं-10 देव! मा संतप्पह, पूरिजउ एस सिलाईहिं विवरो, जइ पुण एवं कए न विप्पणस्सइ सलिलं, रायणा भणियंएवं कीरउ, तओ तक्खणं चेव कट्ठसिलाइट्टगाहिं पूरिओ सो विवरो, जाए य परिसयाले निवडंतुद्दामसलिलधाराहिं भरियं सरोवरं, तं कहियं च नरेहिं नरवइणो।। ताहे तुट्ठो राया पलोयणट्ठा गओ सयं तत्थ । जावऽच्छइ खणमेगं उब्भिन्नो ताव सो विवरो ॥१॥ पुणरवि पुत्वपवाहेण पाणियं तेण विवरमग्गेण । अणिवारियप्पयारं पायाले गंतुमारद्धं ॥२॥ तं दट्टण नरिंदो सोगमहासल्लपीडिओ झत्ति । मंताइसत्यकुसलं पुरलोयं वाहरावेइ ॥ ३ ॥ भणइ य तुम्हे सत्वत्थपारया ता कहेह सलिलमिमं । पायाले वच्चंत ठाइस्सइ केणुवाएणं? ॥ ४ ॥ ॥३२०॥ परिचिंतिऊण सम्मं पयंपियं तेहिं देव ! विन्नाणं । नेवत्थि एत्थ वत्थुमि अम्ह किं साहिमो तेण ? ॥५॥ अह नरवइणा भणियं तहावि साहह किमेत्थ काय ? । मा विफलं चिय वचउ सुचिरेमं वेवियं दवं ॥६॥ RCRA For Private and Personal Use Only

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