Book Title: Madhyamdiniya Mantrasamhita
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मंत्रन्तित्सङ्घर्छशान्तिःशान्तिरेवशान्तुिल्सामाशान्तिरेधि॥ 5 // विश्श्वा सं निदेवसवितर्दुरितानिपरासुव॥ यद्धद्रन्तन्नुऽआसुव॥६॥ईमारुद्राय / तुवसैकपुर्दिनैक्षयदीरायुप्पभरामहेमुती॥ यथाशमसद्विपदेचतुष्प / पदेविश्श्वम्पुष्टय़ामैऽअस्म्मिन्ननातुरम् // 7 // एतन्तैदेवसवितयं / ज्ञम्प्प्पाहुयृहस्पतयेब्रह्मणे।तेनयज्ञमत्तेनयज्ञपतिन्तेनुमामव॥८॥ मनौजूतिर्जुषतामाज्यस्युर्वृहस्पतिय॑ज्ञमिमन्तनोत्त्वरिष्टव्यज्ञर्छ। समिमन्दधातु॥विश्वदेवास हमादयन्तामोऽप्रतिष्ठ॥९॥एषुवै , प्रतिष्ठानामयज्ञोपत्रैतुनय नयजन्तेसुर्वमेवप्प्रतिष्ठितंभवति // 10 // 11 // For Private And Personal

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