Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 238
________________ मैंने मार डाला ? कैसा अधमाधम नर-राक्षस हूँ मैं ?' दूसरी ओर नंदिनी भी विलाप करने लगी कि 'हे मेरे देवरा । हे लाडले । अरे रे ! तुम्हारी यह कैसी मौत । चंडसोम का आत्महत्या का निर्णय : चंडसोम भी कल्पांत करता है |-'हाय ! मैंने क्रोध में यह क्या कर डाला ? जिस बालक को गोद में लेकर घुमाया-खिलाया, उसी को मैंने क्यों बींध डाला? हे बहना मेरी । तेरा कितना असीम प्रेम । और मैं पापी तेरे प्राण ले बैठा ? हे माँ! तू तो पिताजी के साथ तीर्थयात्रा पर निकली, पर मुझे खास हिदायत देती गयी कि', बेटा ! इन दो बालकों की अच्छी तरह सार-सम्हाल रखना | परन्तु मैं पापात्मा यह क्या कर बैठा ? अरे रे ! मेरे मन के अरमान थे कि इनके विवाहोत्सव मना कर नाचूँगा । परन्तु देखो तो सही, मैंने कैसा भयंकर शत्रु का काम किया । मैं क्या करूँ ? अब मैं जीने योग्य नहीं रहा । समुद्र में डूब मरूँ ? पर्वत पर से छलांग लगा दूँ ? (झंपापात करूँ ?) तो भी मेरी शुद्धि न होगी । सुबह लोगों को क्या मुँह दिखाऊँगा ? ऐ पापी जीव । दुष्ट | नराधम । बस, अब तो चिता सुलगाकर उसमें कूद कर जल मरना ही तेरे लिए अच्छा है । पाप लेश्या की अपेक्षा शक्तिशाली धर्म लेश्या आवश्यक : दुष्कृत्य की भावना का आवेग अधिक ? या पश्चात्ताप की भावना का आवेग अधिक ? मनुष्य को दुष्कृत्य करते हुए विचार (ध्यान) नहीं रहता अतः अनियंत्रित पापलेश्या में चढ़ता है। लेकिन यदि सचमुच पश्चात्ताप हो तो उस दुष्कत्याचरण का दंश (चुभन) भी इतना जबरदस्त होता है कि संताप की लेश्या की कोई सीमा नहीं ; और बात भी सच है कि जब तक पाप लेश्या के आवेग को मात कर सके ऐसा पश्चात्ताप का आवेग अकार्यसेवन के प्रति न जगे, जब तक अकार्य के प्रति मनस्ताप में जोश न आवे और अब ऐसी बलवती धर्मलेश्या जागृत न हो तब तक पाप का बोझ कैसे उतर सकता है ? चंडसोम को पहले तो क्रोध एवं ईर्ष्या के आवेग में और कुछ सोचने की परवाह नहीं थी, लेकिन अब अपने ही हाथों स्वयं क्रोध-ईर्ष्या से प्रेरित हो कर अनपेक्षित (अकल्प्य) रीति से सगे भाई-बहन की मौत खुद ने पैदा की ऐसा देखता है तब उसे अपनी कितनी कितनी अधमता लगती होगी; कि जिससे अब अपने आप को जलती चिता में झोंक देने का निश्चय करता है। - २३० - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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