Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 618
________________ ५८० क्र० सं० शब्दरूपाणि ७७४. भङ्क्ता भञ्जन्ति भनक्ति भष्ट ७७५. ७७६. ७७७. ७७८. भव ७७९. ७८०. ७८१. ७८२. ७८३. ७८४. भवति भवितव्यम् भविता भविष्यति भव्यम् भित्सीष्ट ७८५. भिन्तः ७८६. ७८७. भिन्दन्ति भिन्द्धकि भिन्द्धि भिषजिता भुक्षीष्ट ७८८. ७८९. ७९०. ७९१. भूतः ७९२. भेजतुः ७९३. भेजिथ ७९४. भेत्ता ७९५. भोक्ता ७९६. भोत्स्यते ७९७. भ्रक्ष्यति ७९८. भ्रमयति ७९९. भ्रष्टा कातन्त्रव्याकरणम् पृ० सं० | क्र०सं० शब्दरूपाणि ४०३ | ८००. २३६ | ८०१. २३६ ८०२. ३३० ८०३. ६४ ८०४. १५६ ३७८ १४१, १५३, ३७७ ३७७ १४१ १६९ ७३ ७३ २०६ २०६ ३१६ १६९ १४१ ९१ ९१ १५५,४०५,४४१ ८०७. ८०८. ८०९. ८१०. ८११. ८१२. ८१३. ८१४. ८१५. ८१६. ८१७. ८१८. ८१९. ८२०. ४०३ | ८२१. ३७२|८२२. ३२४,३३१ ८२३. ८०५. मन्ता ८०६. भ्राष्टिः मगधिता १०८|८२४. ३२४,३३०, ४०३ ८२५. मङ्क्ता १९९,२८९,४०४ मङ्क्ष्यति १९९,२८९ मनति ३४७ ४०७ ११६ ११९ २५३ ४६० ४६० ३३१, ४६४ ३३१, ४६४ १२७ ४६० ४६० ७४ ७४ मन्तूयति मात्रीकरोति मा भवान् अरत् मा भवान् करोत् मा भवान् कार्षीत् मार्क्ष्यति माष्ट मालीयति मास्म करोत् मास्म कार्षीत् मिमताम् मिमते मिमीते मीयते मुञ्चति मुमुषिषति मुमूर्षति पृ० सं० ३३१ ३१८ मूढ: मेढा मेद्यति ७८ ५७ १९८ १७८ २१८ ४३७ ४१३ १५८

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