Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 765
________________ परिशिष्टम् - ८ ४२६ | ३९७. क्रियाधारः १७४,२४३,४१५ | ३९८. क्रियाधारभूतत्वम् क्रियानिमित्तं कारकम् २६ | ३९९. १४२ | ४०० क्रियानिमित्तत्वम् १३१ | ४०१. क्रियानिष्पत्तिकारणम् २४ ४०२. क्रियाप्रधाना अव्ययाः ३७१. कुञ्चादिराकृतिगणः ३७२. कुत्सा ३७३. कुत्साः ३७४. कुत्सावचनः ३७५. कुलचन्द्रसम्मतम् ३७६. कुलसम्बन्धः ३७७. कुशलः क्रियानिष्पादक: ४६१ ४०३. क्रियाफलम् ३७८. कुह ५१० ४०४. क्रियावचनः ३७९. कृतपूर्वी कटम् ३६, २०१ | ४०५. ३८०. कृतिः १०३ | ४०६. ३८१. कृतो योग्यतायां शक्तिः १०६ | ४०७. क्रियाव्यापारः ३८२. कृद्ग्रहणम् ३८३. कृल्लक्षणषष्ठी ३८४. केचित् ३८५. केशवस्योपमा न च केशवेशः ३८६. ३८७. कोप: ३८८. कोपम् ३८९. कोपसामान्यम् ३९०. कौक्कुटिकः ३९१. कौमाराः ३९२. कौशलमात्रम् क्रियाविशेषणम् क्रियाव्यतीहारः २०५ ४०८. क्रियाव्याप्यस्यैव कर्मत्व १५४ निश्चयात् २४ | ४०९. क्रियासंबन्धः १७८ ४१०. क्रियासंबन्धमात्रम् २३७ | ४११. क्रियासामान्यवचनः क्रियासाम्यम् ४९, ५५, ५६ | ४१२. ४३४ ४१३. क्रीतादेराकृतिगणत्वात् ४९ |४१४. क्रोधः ४५२ | ४१५. २७४ | ४१६. क्वचिज्जातिः क्रोशं कुटिला नदी ४५१ ४१७. क्वचिदनियमः ३९३. क्रमः ३९७ ४१८. ३९४. क्रिया ५९, १०३ | ४१९. ८९ ४२० . ३९५. क्रियाजनकं कारकम् ३९६. क्रियाजन्यफलभागित्वम् ७९ | ४२१. क्वचिदुपमयाक्षेपः ६१ ६४ १०७ २,६ ६६ १४३ ८३, ८४ १४७ ७, ८१ १० ७२ क्वचिद् वाक्यमेव क्वचिद् विपर्ययः क्वचिद् व्यक्तिः . ७२३ १५० १६८ २८ ८२ ४६८ ४५४ ५५ ७१ १२४ ३५५ ३३२ ३२६ ३५५ १२४

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