Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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७४६
कातन्त्रव्याकरणम्
४०.
४१.
४२.
२५६
३३. निरुक्तम् २६४,३४२ ५२. महाभारतम् २९५ ३४. नैषधम्
५३. महाभाष्यम् ७८,२६३,५०६ ३५. न्यासः ३१,८९,९६,१६३, ५४. माघकाव्यम् ९३,३०८,३१३
३०५,३१०,४८६ ५५. मुग्धबोधव्याकरणम् ४०,५६, ३६. पञ्जिका ५५,६२,२१३
६५,७०,९९ ३७. पक्षी ५,६०,६१,६९, ५६. मेघदूतम्
१४४ ९०,१०५,१४०, ५७.
मेदिनीकोषः
४७५ ५८. रघुवंशमहाकाव्यम् ११२, ३८. परसूत्रम् ५२,१२७
२०५,५०६ ३९. पाणिनीयसूत्रम् १५०,३५३
५९. लोकोपचारसूत्रम् १४ पाणिनीयशिक्षा
६०. वाक्यपदीयम् ५८,६७,७२, ५०६
७४,७५,७९, पाणिनीयाष्टाध्यायी ८,११
८४, ९३, १०७, प्रक्रियावादः
१२९, १४६, २५५, फक्किका ४१९
२५६, २६७, २८७, बृहद्देवता २६४,३१८,३४२
२८८,२८९, २९१, ४५. भट्टिकाव्यम् ५५,१५९
२९५,४४३ ४६. भागवृत्तिसंकलनम् २५४ |६१. वाजसनेयिप्रातिशाख्यम् २६४ ४७. भाषावृत्तिः ५५,८७,९३, ६२. वार्तिकम् ९५,१८७,४००,
४०१ १४४,३०७,३५२,३१३ | ४८. भाष्यम् ९२,१००, १५४,
६३. वाल्मीकिरामायणम्४३३, ४३४ १९३, २९३, ३१४. ६४. वृत्तिः ४, १५, २४, ७२,
१६५, १९६, २१३, ३४६, ३७१, ३७४,
२४५, २७८, २८१, ४००, ४०१
२८२, ५२८ ४९. मञ्जूषा पत्रिका ३९ (५. वैयाकरणपरिभाषा १६८ ५०. मनुस्मृतिः १४३, २२७६६. वैयाकरणभूषणसारः १०४, ५१. महाजनसूत्रम् ३४०
२६३,२६४

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