Book Title: Karni Ka Fal
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 11
________________ करनी का फल महामंत्री ने अपने पुत्र वरधनु को बुलाकर सारी बात कुछ दिन बाद महामंत्री धनु ने दीर्घराज से अनुरोध बताई और कहा कियातम छाया की तरह हर महाराज ! मैं अब वृद्ध हो गया जैसी आपकी पिताजी ! आप समय कुमार के साथ रहोगेत हूँ। इसलिए निवृत्त होकर गंगा Sola इच्छा मंत्रीवर निश्चिन्त रहें। हर आने वाले खतरे से न तट पर यज्ञ, पूजा-पाठ आदि राजकुमार की रक्षा तम उसकी रक्षा करोग क रना हमारा धार्मिक कार्य करके जीवन को सफल बनाना चाहता हूँ। HOOTION OOGO राजधर्म हैं। TARAIPolarraaaaaaa PUR do NCC दीर्घराज भी महामंत्री के चले जाने से निश्चिन्त हो गया। मंत्री धनु ने गंगातट पर एक विशाल यज्ञ मण्डप का निर्माण करवाया। जहाँ दिन भर दानशाला चलती रहती और रात को सुरंग का निर्माण होता था। शीघ्र ही यज्ञ मण्डप से लाक्षागृह तक एक गुप्त सुरंग बनकर तैयार हो गई। SITATOETTER 000 6000 hastmasha S 5 .00

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