Book Title: Karni Ka Fal
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 17
________________ करनी का फल | उस मदोन्मत्त हाथी ने ले जाकर कुमार को एक उद्यान में छोड़ दिया। कुमार ने सरोवर में स्नान किया। फल तोड़कर खाये और आगे नगर की तरफ चल पड़ा। वह जहाँ भी जाता लोग उसकी अद्भुत तेजस्विता और अपार सौन्दर्य को देखकर चकित हो जाते। उसका युद्ध-कौशल, वीरता और दूसरों की सहायता करने की परोपकारी वृत्ति से प्रभावित होकर अनेक राजकुमारियों ने उसे पतिरूप में स्वीकार कर लिया। परन्तु कुमार कहीं नहीं रुका। वह सभी को अपना लक्ष्य बताता, - "मुझे शक्ति, सेना, और धनबल जुटा कर कम्पिलपुर का राज्य प्राप्त करना है। जब तुम्हें सूचना मिले, मेरी सहायता के लिए आ जाना।" उस मदोन्मत्त हाथी ने ले जाकर कुमार को एक रमणीय उद्यान में छोड़ दिया। अनेक राजकुमारियों ने उसे पतिरूप में स्वीकार कर लिया। मुझे शक्ति, सेना, धनबल जुटा कर कम्पिलपुर का राज्य प्राप्त करना है। जब तुम्हे सूचना मिले, मेरी सहायता के लिए आ जाना। 13 Fol

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