Book Title: Karm Vipak Pratham Karmgranth
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ डाक्टर हरकचन्दजी का संक्षिप्त जीवन चरित्र और ग्रन्थ प्रसिद्ध करने का प्रयोजन. जैन जाति का भाग्य अभी तक दुर्बल हैं और विशेषकर राजपूताना के जैनियों की स्थिति बहुत ही शोचनीय है पहिले तो धनिक मारवाड़ी जैनों के धन की भी कमी होती जाती है पर जो कुछ धन है वह भी केवल आडम्बरों, विवाहोत्सवों, वेश्यानृत्यों, मृतक भोजनों तथा अन्य कई त्योहारों पर कुव्ययों में ही खर्च होता है. और यदि कोई महानुभाव अपने द्रव्य का सदुपयोग करके अपनी संतान को शिक्षा देकर इस योग्य करें कि जाति की सेवा करने में समर्थ हो तो इस काल शत्रु से ऐसा नहीं देखा जाता. जैन जाति के दुर्भाग्य से आज हम देखते हैं कि कितने शिक्षित युवक युवावस्था ही में अपनी मनोवांछना सफल किये विना हो, जाति की मनोकामना पूर्ण किये बिना ही अपने मातापिता भाई बन्धु की आशाओं पर पानी फेर कर इस अभागी जाति को रोती हुई छोड़कर परलोक सिधार जाते हैं । प्रभो, क्या इस जाति के, क्या तेरी संतान के दिन f फिरेंगे, क्या इस जाति की अवस्था सुधारने वालों पर काल " • दया नहीं करेगा ? क्या इस जाति में वीर चन्द गांधी जैसे पुत्र उत्पन्न फिर नहीं होंगे ?

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 131