Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 18
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 409
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३९४ कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ७६४०८. चौदगुणठाणा यंत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, दे., (२५.५४११, १५४११). १४ गुणस्थानक विचार-यंत्र, मा.गु., को., आदि: मिथ्यात्व सास्वादन; अंति: क्षयोपसम सजोगी अयोगी. ७६४०९. बालचंदबत्तीसी, संपूर्ण, वि. १८४७, आषाढ़ अधिकमास कृष्ण, ३०, मध्यम, पृ. २, अन्य. मु. सदारंग ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१२, २०४५४-५७). अध्यात्मबत्तीसी, मु. बालचंद मुनि, पुहि., पद्य, वि. १६८५, आदि: अजर अमर पद परमेसर; अंति: (१)सुख कहे अरीहतदेवरे, (२)इंद रंग मन आणीइं, गाथा-३३. ७६४१०. सप्तव्यसन निषेध व नशानिदान औषधि, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२७४१२, ११४३०-३२). १.पे. नाम. सप्तव्यसन निषेध, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. ७ व्यसन सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: जुठ वचन ते करमनि; अंति: कर्म ७ ए सात वसन, गाथा-७. २. पे. नाम. औषध संग्रह, पृ. १आ, अपूर्ण, पू.वि. अतिम पत्र नहीं है. औषध संग्रह ,मा.गु., गद्य, आदिः (-); अंति: (-), (पू.वि. पाँचवें क्रम के औषध अपूर्ण तक है.) ७६४११. नारी सज्झाय व नेमजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १८५२, कार्तिक शुक्ल, ५, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२६.५४१२.५, ११४४०). १.पे. नाम. नारी सज्झाय, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण. पुहिं., पद्य, आदि: मूरख के भावै नहीं; अंति: आगे इच्छा थारी रे, गाथा-२३. २. पे. नाम. नेमजिन स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. नेमिजिन स्तवन, मु. चोथमल, रा., पद्य, वि. १८५२, आदि: श्रीनेमीसर साहिबा; अंति: चोथमम० एकीधी अरदास, गाथा-७. ७६४१२. (+) पार्श्वनाथ स्तोत्र-जीराउला, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, पृ.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६.५४११, १२-१४४४५). पार्श्वजिन स्तवन-जीरावला, मु. सोमजय, अप., पद्य, वि. १६वी, आदि: जीराउलि राउलि कयनिवा; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-३४ तक है.) ७६४१३. (+) पुद्गलपरावर्तन विचार, अपूर्ण, वि. १८७९, फाल्गुन कृष्ण, ६, मध्यम, पृ. ३-१(१)=२, प्रले. मु. अमीविमल, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६४११,११-१३४३५-३८). पुद्गलपरावर्तन विचार, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: कार्मणन अनंतगुणा, (पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., बादर के ४ प्रकार अपूर्ण से है., वि. विभिन्न आगमों से उद्धृत.) ७६४१४. (+) गौतम रास, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., दे., (२६.५४१२, १२४३०-४२). गौतमस्वामी रास, मु. जैमल ऋषि, रा., पद्य, वि. १८२४, आदि: गुण गाउगोतम तणा; अंति: जैमलजी० चोमासाजी, गाथा-१२. ७६४१५. (+) कहरानाम की चाली, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २,प्र.वि. संशोधित., दे., (२६.५४११.५, ९४३२). आध्यात्मिकज्ञान प्रश्नपहेली, पुहि., पद्य, आदि: कुमति सुमति दोउ; अंति: भई यहै सौतघर छाहि, गाथा-११. ७६४१६. (+) सिद्धचक्र नमस्कार व सिद्धचक्र स्तुति, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २,प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४११, ९४२५). १.पे. नाम. सिद्धचक्र नमस्कार, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. उपा. नयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धचक्र सेवो सदा; अंति: नामथी नयविजय जयकार, गाथा-३. २. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण. उपा. नयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सेवो भविअण सिद्धचक्र; अंति: लहे जिम श्रीपालकुमार, गाथा-१. ७६४१७. चौवीस आंतराना बोल, पूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., प्र.वि. हुंडी:आतरा, दे., (२६४१२, १२४३०). For Private and Personal Use Only

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