Book Title: Jyotish Prashna Falganana
Author(s): Dayashankar Upadhyay
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 10
________________ ज्यौतिषप्रश्नफलगणना द्विस्वभावे यदा लग्नं चरे के द्विस्वभे शशी। सुतलाभो मनस्तुष्टिविद्यालाभो धनागमः ॥१८॥ यदि लग्न द्विस्वभाव हो और चर राशि में सूर्य हो और चन्द्रमा द्विस्वभाव में हो तो पुत्रलाभ, मन को प्रसन्नता, विद्यालाभ और धनप्राप्ति हो ॥ १८ ॥ द्विस्वभावेषु लग्नेषु सूर्यो वा स्थिरराशिष । द्विस्वभावे मृगांकश्चेत् पुत्रनाशो भवेद्धृवम् ॥ १९ ॥ जो लग्न द्विस्वभाव हो और सूर्य स्थिर राशि का हो और चन्द्रमा द्विस्वभाव का हो तो पुत्र का नाश निश्चित हो ॥ १९ ॥ द्विस्वभावेषु लग्नेषु चन्द्रसूर्यों चरस्थिरौ । लाभयोगं विजानीयान्मनः सिद्धिः सदा सुखम् ॥ २० ॥ जो लग्न प्रश्नकाल में द्विस्वभाव का हो, और चन्द्रमा-सूर्य क्रमशः चर राशि स्थिर राशि में हो तो लाभ का योग जानना चाहिए और मनोकामना की सिद्धि हो और हमेशा सुख प्राप्त हो ॥ २० ॥ द्विस्वभावं या लग्नं चरेऽर्क: स्थिरचन्द्रमाः ।। WWWमहालाभं महासौख्यं यशःसौभाग्यसम्पदः ॥२१॥Com प्रश्न लग्न द्विस्वभाव का हो और सूर्य चर राशि का हो और चन्द्रमा स्थिर राशि का हो तो महालाभ, महासोल्य, यश, सौभाग्य, धन, सम्पत्ति हो ॥२१॥ द्विस्वभावं यदा लग्नं स्थिर वा रविचन्द्रमाः । सर्वसौख्यं विजानीयाल्लाभयोगो महाफलम् ॥ २२ ॥ यदि प्रश्नकालीन लग्न द्विस्वभाव हो और सूर्य-चन्द्रमा दोनों स्थिर राशि में प्राप्त हों तो सर्व विषयक सुख जानना-लाभ का योग और अत्यन्त फलकारी हो ॥ २२ ॥ द्विस्वभावे यदा लग्ने द्विस्वभावे शशी रविः । अशुभ शकुनं चैव हानिरुद्वेगकारकम् ॥ २३ ॥ यदि प्रश्न का लग्न द्विस्वभाव हो और द्विस्वभाव में सूर्य-चन्द्रमा भी प्राप्त हो तो शकुन अशुभकारक होगा और हानि तथा उद्वेगकारक होगा ॥ २३ ॥ द्विस्वभावं यवा लग्नं स्थिरेऽके च निशाकरे। पान्यस्यागमन शीघ्रं सर्वसौख्यं जयसूरः ॥ २४ ॥ यदि प्रश्न लग्न स्विभाव हो और स्थिर राशि में सूर्य-चन्द्रमा दोनों प्राप्त हों तो पथिक का आगमन शीघ्र करे और सर्व सौख्य, जयकारक हो ॥ २४ ॥ http://www.Apnihindi.com

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