Book Title: Jyotirvignan Shabda Kosh
Author(s): Surkant Jha
Publisher: Chaukhambha Krishnadas Academy
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५६५
पृष्ठाङ्काः २६९, २२७ २६९, २२७
शुभ्रगु
९, १०, २३६
२३१
२३१
२०५ २६
२६
६,२२८
२०४
१३०
अकारादिशब्दानुक्रमणिका अकारादिशब्दाः
पृष्ठाङ्काः | अकारादिशब्दाः शुभेतर
शूर्पकाराति
१४, ४२ | शुर्पकारि शुभ्रकर
| शूर्पभ
३८ | शूल शुभ्रदन्ती
२३४ | शूलधरा शुभ्रभानु
शूलधृत शुभ्रभास
शूलभृत् शुभ्रम्
४२ | शूला शुभ्रा
|शूलायुष शुभ्राम्बर
शूलास्त्र शुभ्रांशु
३८ | शूलिन् शुम्भ (दैत्यविशेष:)
शृङ्ग शुम्भघातिनी
२६९ शृङ्गवत् शुम्भमथनी
२३१ शृङ्गाटक शुषि
१२३ | शृङ्गार शुषिल
२४४ शृङ्गारजनुस् शुष्म
३०, १४२, ३६ / शृङ्गारजन्मन् शुष्मन्
२३९ | शृङ्गारयोनि शुष्मि
२४४ शृङ्गिणी 'शुष्यतः'
१९५ शृङ्गिन् शुष्यति
१९५ शृङ्गोष्णीय शुष्यन्ति
१९५ 'शृणुतः' शुष्येत्
१९५ शृणुयात् शुष्येताम्
१९५ | शृणुयाताम् शुष्येयुः
१९५ शृणुयुः
| शृणोति शूद्र
१३४, ५८ शृण्वन्ति शून्य
७४/'शे'
२३१ | शेखर
७, ६१, ६३, ६३ शोटक शूर्पकर्ण
२०३ २२० २२० २२० २२०
२०४
२३१
१८८ १८८ १८८ १८८
१८८
१८८
शूर
२२९
६२
२३२ | ‘शेते'
१९१
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