Book Title: Jinendragam Vividh Vishayrup Gun Sangraha
Author(s): Jitendrashreeji
Publisher: Hitsatka Gyanmandir
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મંગલાચરણું
जयइ जगजीवजोणी-वियाणओ जगगुरू जगाणंदो। जगनाहो जगबंधू, जयइ जगप्पियामहो भयवं ॥१॥ जयइ मुयाणं पभवो, तित्थयराणं अपच्छिमो जयइ । जयइ गुरू लोगाणं, जयइ महप्पा महावीरो ॥२॥ ओकारं बिन्दुसंयुक्तं, नित्यं ध्यायन्ति योगिनः । कामदं मोक्षदं चैव, ॐकाराय नमो नमः ॥३॥ अज्ञानतिमिरान्धानां, ज्ञानाअनशलाकया। नेत्रमुन्मीलितं येन, तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥४॥ पुरिमचरिमाण कप्पो, मंगलं वद्धमाणतित्यम्मि । इह परिकहिया जिणगण-हराइ थेरावली चरितं ॥५॥

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