Book Title: Jeevvichar
Author(s): J R Shah
Publisher: J R Shah

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Page 337
________________ Date | तो पए, अनी तरस छीपे नहीं : इंडु, तागपुं, शुल, होड डायम सूडाया डरे. हुप्पटणपान्य तेमतेम हजपपतुं न्लय. शीतना पए खेटली बोरधार लोग डे महीना मानवलवभा, | शरटीना प्रतिवाणो होय, मामांसी माहिनी पीडा डायम मनुलपतो होय, राडो पपन खाये ते सहन करी राहतो न होय-सेवा माणासने | पोष हे महा मासनी मतिराय शीतणतावाणी रानिमा घणी राहयात होय, यारे तरथी शीतग पचलनालापटां खापता होय,हिम पडतो होय सने थामा यी पर्पतनी टोय. उपरः तद्दन उद्या शरीरे सुपाडपामा माये, सोने टाढनी पीडा लागे, सेनां डरतां सतगुपी शीत वेहना |ष्टिा योनिमा उत्पन्न थयेसां नारखीय जवाने डायम लोगपपानी होय. 1- उप पेहना मेटले गरभीनी पीडा, पएनारठीने बहु सहेपी पडे. डा प्रशमां कन्भेसो भानप होय गरमी श्राप सहननरी शडतो । होय, सेवाने गरमा गरम हुपाषाणा प्रदेशमा, लर-नागाभां, शाम ना सजत तापपथ्ये, मेरनां साडानां धगधगतां डोलसापर सुपडापता ने पहना थाय, सेना डरतां जनती गरमीनी पेहना, नरमा रहेसा शीत योनिमां उत्पन्न थयेला नारना ब्लुपोने रहे. Gष्ठातानी पेहना डरतां शीतणतानी येहना घरी पधारे सारी बागे. -- पहेली यार नरडमां उठाना होय, पायभी नरमा उष्ठा मने शीत खंने ना होय, खट्टी- सातमी नरहमां शीतपेहना होय. te पर वेहना मेटले तापनी पीडा, तेरे नारडी गुयोन डायम रिहा रे. नीये नीयेना स्थानना नारडी होय तेम पधारे रोगथी जीमने. के हाहवेना सेट जगतरानी. पीडा: नरामा रहेला जुषोने शरीरमा मंडरथी यने महारथी सहायरलगतश रहा रे, मने च्या जय | त्यां जगतरा पधारनारा साधनो भणी मापे, शांत डरपार्नु डोपए | डा साधन मगे नहीं. बहना मेटलेना -यणनी पेना. मेज़पोन शरीरमा डायम जेटली यण सापेडे गमे तेटj जाए, तो पए से पीडा मरे नहीं. याइ, छरी, तलवार सेवा सति-तीए हुधियारो पडे, शरीरने छोली नामया रेयुं डरे तो पए जानी पीडा रणे नहीं, परपशता पए सेटलीक होय. डोईपए सवस्थामां मेने स्वाधीनता नेवी वस्तुनो अनुलपन थाय, सा पराधीन न्ह रहे.

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