Book Title: Jain Tithi Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 35
________________ (१७) कञ्चन । (सामानिक आख्यायिका) (४) कामवासना। रातके एक बजेका समय है । प्रकृति बिल्कुल निस्तब्ध हैं। सारा गहर निद्रा देवीकी गोदमें मुखकी नाद सोया हुआ है। पूनमचन्द जिम मकानमें रहते हैं उसमे कुछ ही दूरपर एक वेश्याका घर है। इस समय इस निस्तब्धतामें भी कमला मधुर और मनोहर गाना गा रही है। गाना बहुत उत्तम है । उसके सुननेवालेका चित्त बहुत जल्दी उमकी और आकर्षित हो जाता है । यदि हम इस गानेका गर्वगानके साथ मिलान करें तो संभव नहीं कि वह उससे किमी अंगमें कम हो। __ गाना अपनी प्रतिध्वनिसे आस पामके गृहामें गूंजता हुआ वामें लीन हो जाता था । पूनमचन्द माने थे । एका एक गानेकी मनोहारिणी आवाजने उनकी नीदमें बाधा डाल दी । वे जग उ। उनका ध्यान गानेकी ओर खिंत्रा। उमकी सुन्दरताने उन्हें अधीर बना दिया । निद्रा लेना अब उन्हें कठिन होगया । उनकी स्त्रीको मरे आन तीन वर्ष हुए हैं, पर इस समय उनका गोक विस्कुल ताजामा दीख पड़ता है । जान पडता है गाना सुनकर उन्हें उनकी ब्रीकी याद हो उठी है और इसीसे वे एक साय इतने अवीर होगये है। आज उन्हें ललनाप्रेमने फिर घर दवाया है। जैसे जैसे समय अधिक अधिक वीतता है वैसे

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