Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 04
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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१८५
बेल्वल ७९, १०४.६, १०९-१०, बोम्मम्बे २२९, २६६
११२, १७८, २१४ बोस्मिसेटि २६०, २६६, २७७, वेल्योल ९०, ९३, १०३, १२०, २९९, ३१२, ३२८, ३७१,
१७२ बेहार २२८
बोयुगट्ट २७ बेंटर ३७
बोरखंडधागोत्र ४०१, ४०३,४०६, बैचण २९७-९
४०९, ४१६ बैवय २७८, २८८
बोलगड ७८, ८१ बचिसे टि २८५.६, २९९ बोलयनाग २९३ बन्दुरु ३०८
बोसिसे ट्टि १०८ बराट ३८८
अमदेव २२६ बैगमक्षेत्र ४१६
अहदेवण ३६४ बहरु ९३
ब्रह्म २५०, २९..१ बोगगाण्ड ३८४ बोगाडि १९८
ब्रह्मजिनालय १५२, १५७ बोचुवनायक ३८४
ब्रह्माधिराज ९३ बोप्पगोड ३७५
ब्रिटिश म्यूजियम २७, ३८७ बोपदेव १५६, २५०
मटकल ३००, ३३५ बोप्पय २९६
भट्टाकलंक ३१६, ३३५, ३३८-९, बोप्पिसे ट्रि १०८, १६४
३४२ बोप्पेयब्बे १८३
भट्टिदाम ६ बोप्पेयवाड १३८, १४० भद्रबाहु ९६, १७५, २१४, २१६ बोम्मक्क ३५६
भद्ररायि १५७-८ बोम्मग्ण ३६८
भद्रेशर ३८६, ३८८ बोम्मरस ३३७
भरत ७३, १५५-६, २७२ बोम्मरसेट्टि ३१६
भरतपुर १७४,३८५

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