Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 04
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 545
________________ १४७, १५६, १७६, २००, २०२-३, २११ वोगडि १९१, १९७, वीन १९७ वीरकागाल्य १३३-४, १४० वोरगंग ९५, १३३, १४६, १५४, २००, २०४-५, २१४ वोरनन्दि ५३, ९३, २०८, २५२-३ २५८, २७१ वोरनोलम्ब ११५-६, १२० वोरपेर्माडि १५३ वीरपोष्डेय ३२० वीरबलंज १६३, १६५, २४० वोरभैरव २९९ वीरम ११४, ३२० नामसूची वीरराजेन्द्र ९९ वोरसंघ ३३८ वीरसान्तर ८७-९ वीरसेन २०९, २३५, २९३, २९५, ३३०-४, ३४४-५, ४२५ वोराम्बुधि ३९२ वोरेश्वर ३६५ वोर ३१४ राम १८९ बोसल १८९ वृक्षमूलगण १२२, ३७६ वृषभ २१ वृषमनन्दि २०४, २०७ वृषभसेन गणधरान्वय ४०१-२ वेडल ५६ वेर्णागि १२८ वेणुग्राम ( वेणुपुर ) १३२, १३७, २३९-४१, २४६ वेणेगाव ३४७ वेबुनाडु २२ वेमुलवाड ५३ वेम्वलनाडु १४५ वेरावल २२० वेलनाडु ६६, ६९ बेलि ६३ बेलूर ३८१ 880 बेलूर बोम्मनाक ३१७ वेल्लप्रभाटिका १५९ बॅगो ६३, ६५, ६८, ९० बेखर ७२ वैज १४२, १४५, २३९, २४५ वैजयन्ती १३ वैयप्प ३१७ श्रवण १९१, १९६

Loading...

Page Navigation
1 ... 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568