Book Title: Jain Sanskruti ka Rajmarg
Author(s): Ganeshlal Acharya, Shantichand Mehta
Publisher: Ganesh Smruti Granthmala Bikaner

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Page 10
________________ विषय-सूची अध्याय १. जैन-सस्कृति की विशालता २. महावीर का सर्वोच्च स्वाधीनता ३. जैन अहिंसा और उत्कृष्ट समानता ४. स्याद्वाद सत्य का साक्षात्कार ५. कर्मवाद का अन्तर्रहस्य ६. अपरिग्रवाद याने स्वामित्त्व का विसर्जन ७. शास्त्रो के चार अनुयोग ८. जैन दर्शन का तत्त्ववाद ६. सर्वोदय-भावना का विस्तार • १०. जैन धर्म का ईश्वरवाद कैसा ? ११. जैन सिद्धान्तो मे सामाजिकता

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